दिल्लीराज्य

उमर खालिद को बड़ी राहत: कोर्ट ने 13 दिन की अंतरिम जमानत मंजूर की

नई दिल्ली 
दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को कड़कड़डूमा कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने गुरुवार को उनकी ओर से दायर उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन्होंने अपनी बहन के निकाह में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। सुनवाई के बाद, अदालत ने खालिद को 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक अंतरिम जमानत प्रदान की है। खालिद की बहन का निकाह 27 दिसंबर को होना है और याचिका में 14 दिसंबर से 29 दिसंबर तक की जमानत अवधि मांगी गई थी। हालांकि, अदालत ने खालिद को 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक की अंतरिम जमानत मंजूर की है। 

अदालत ने अंतरिम रिहाई के साथ कुछ सख्त शर्तें भी लागू की हैं, जिनमें उमर खालिद सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करेंगे, किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे और केवल परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, और करीबी दोस्तों से ही मिल सकेंगे। रिहाई के दौरान खालिद अपने घर पर ही रहेंगे या केवल उन स्थानों पर जा सकेंगे जहां शादी की रस्में और कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसके अलावा, उन्हें 29 दिसंबर की शाम तक सरेंडर करना होगा।

बता दें कि दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2020 में उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि उसने फरवरी 2020 में दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश रची थी। इस मामले में यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत केस दर्ज किया गया है। खालिद के साथ शरजील इमाम और कई अन्य लोगों पर भी इसी मामले में साजिशकर्ता होने का आरोप है। दिल्ली दंगे में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। हिंसा की शुरुआत सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई थी, जहां कई स्थानों पर हालात बेकाबू हो गए थे।

पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (जो दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे हैं) ने कहा था कि 2020 की हिंसा कोई अचानक हुई सांप्रदायिक झड़प नहीं थी, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला करने के लिए सुविचारित, सुनियोजित और योजनाबद्ध षड्यंत्र था। उन्होंने कहा था कि हमारे सामने यह कहानी रखी गई कि एक विरोध प्रदर्शन हुआ और उससे दंगे भड़क गए। मैं इस मिथक को तोड़ना चाहता हूं। यह स्वतःस्फूर्त दंगा नहीं था, बल्कि पहले से रचा गया था, जो सबूतों से सामने आएगा। मेहता ने दावा किया था कि जुटाए गए सबूत (जैसे भाषण और व्हाट्सएप चैट) दिखाते हैं कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की स्पष्ट कोशिश की गई थी। उन्होंने विशेष रूप से शरजील इमाम के कथित भाषण का जिक्र करते हुए कहा था कि इमाम कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि हर उस शहर में चक्का जाम हो जहां मुसलमान रहते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button