बिहार-झारखण्‍डराज्य

SC का बयान: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के लिए वोटर ID और आधार दोनों मान्य

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह चल रहे अभियान के तहत मतदाता गणना के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को वैध दस्तावेजों के रूप में शामिल करने पर विचार करे। कोर्ट एसआईआर के समय और तरीके को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 21 जुलाई तक का समय दिया गया है। हालांकि, अभी तक कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया है।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही संशोधन शुरू करने के चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल भी उठाया। जस्टिस धूलिया ने चुनाव के इतने करीब मतदाता सूची में संशोधन के संभावित निहितार्थों की ओर इशारा करते हुए कहा, "अगर आपको बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर के तहत नागरिकता की जांच करनी है, तो आपको पहले ही कदम उठाना चाहिए था, अब थोड़ी देर हो चुकी है।"

हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज कर दिया कि चुनाव आयोग के पास इस तरह का संशोधन करने का अधिकार नहीं है। बेंच ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन करना चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है और इस बात पर जोर दिया कि बिहार में पिछली बार ऐसा साल 2003 में किया गया था।

सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग ने एसआईआर का बचाव करते हुए कहा कि पात्र मतदाताओं को जोड़कर और अपात्र मतदाताओं को हटाकर मतदाता सूची की सटीक बनाए रखना आवश्यक है। आयोग ने दलील दी कि आधार नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं है, और कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार केवल भारतीय नागरिक ही मतदान के हकदार हैं। चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील द्विवेदी ने सवाल किया, "अगर चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची में संशोधन करने का अधिकार नहीं है, तो फिर किसके पास है?"

सुप्रीम कोर्ट में 10 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से एक मुख्य याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' द्वारा दायर की गई है। राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, राकांपा (सपा) नेता सुप्रिया सुले, भाकपा नेता डी राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत, झामुमो के सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने भी चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।

 

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