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पंजाब सरकार अब कर्ज़ लेकर डिफॉल्टर बने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में है

पंजाब 
पंजाब सरकार अब कोऑपरेटिव बैंकों से कर्ज़ लेकर डिफॉल्टर बने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में है। सरकार ने ऐसे कर्मचारियों से बकाया वसूली के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग ने इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दिए हैं।

तनख्वाह, पेंशन और रिटायरमेंट लाभ से होगी कटौती
अब जिन कर्मचारियों ने कर्ज़ लिया है लेकिन चुकाया नहीं, उनकी बकाया राशि को सीधे उनकी वेतन, पेंशन या रिटायरमेंट लाभ से काटा जाएगा। इसके लिए सहकारी विभाग और कोऑपरेटिव बैंक डिफॉल्टर कर्मचारियों की सूची डायरेक्टोरेट और लेखा विभाग को भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

सॉफ्टवेयर के जरिए होगी निगरानी
बैंक अपने रिकवरी खातों को IHRMS (इंटीग्रेटेड ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम) और IFMS (इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) में दर्ज करवाएंगे ताकि संबंधित अधिकारी वेतन से रकम काटकर ईसीएस के जरिए सीधे बैंक खाते में जमा कर सकें।

नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त
इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे जो वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तालमेल बनाए रखेंगे। यदि कोई कर्मचारी एकमुश्त राशि जमा करता है तो बैंक "नो-ड्यूज सर्टिफिकेट" जारी करेगा, जो रिटायरमेंट के समय अनिवार्य होगा।
 
हर महीने देनी होगी रिपोर्ट
डीडीओ (Drawing and Disbursing Officer) हर महीने रिकवरी की रिपोर्ट बैंक को भेजेंगे। बैंक कर्मचारियों के IHRMS कोड को सॉफ्टवेयर में अपडेट करेंगे ताकि रिकवरी सही खातों में दर्ज हो सके। रिकवरी रिपोर्ट चार श्रेणियों में तैयार की जाएगी और डिफॉल्टर कर्मचारियों की तनख्वाह में ऑटोमेटिक कटौती लागू की जाएगी।

जुलाई से होगी वसूली की शुरुआत
सूत्रों के अनुसार, जुलाई 2025 से वसूली की प्रक्रिया शुरू होगी। डीडीओ को वेतन बिल के साथ यह प्रमाणपत्र लगाना होगा कि कोई कर्मचारी डिफॉल्टर है या नहीं। यदि कोई कर्मचारी डिफॉल्टर सूची में नहीं है तो "निल प्रमाणपत्र" देना अनिवार्य होगा। अगर डीडीओ ने रिकवरी नहीं की तो उनका वेतन बिल स्वीकार नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि सरकारी कर्मचारियों ने कोऑपरेटिव बैंकों से विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये का कर्ज़ ले रखा है। इनमें से कई वर्षों से डिफॉल्टर हैं, न तो कर्ज़ चुकाते हैं और न ही बैंकों से सहयोग करते हैं। अब सरकार इस रवैये पर लगाम लगाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।

 

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