राजस्थानराज्य

अक्षय तृतीया पर जिले में बाल विवाह रोकने के लिए पुरोहितों ने उठाई जिम्मेदारी

बालोतरा

अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के इस मौसम में बाल विवाह रोकने की मुहिम को बड़ा बल मिला है। जिले में कार्यरत संगठन सृष्टि सेवा समिति ने विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच जागरूकता अभियान चलाया, जिसे जबरदस्त सफलता मिली है। अभियान के तहत अब जिले के कई मंदिरों और मस्जिदों के बाहर बोर्ड लगाए गए हैं, जिन पर साफ लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है।

संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि सिंह बघेल ने बताया कि धर्मगुरु खुद आगे बढ़कर बाल विवाह के खिलाफ अभियान में समर्थन दे रहे हैं, यह देखकर गर्व महसूस हो रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा।

बता दें कि सृष्टि सेवा समिति, देश के सबसे बड़े बाल अधिकार नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन का सहयोगी संगठन है, जो 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। पिछले दो साल में संगठन ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से जिले में लगभग 300 बाल विवाह रुकवाए हैं।

बघेल ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत बाल विवाह करवाना न केवल अपराध की श्रेणी में आता है बल्कि 18 वर्ष से कम आयु की बच्ची से विवाह कर उसके साथ संबंध बनाना पॉक्सो कानून के तहत बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित, मौलवी, पादरी सहित आयोजन से जुड़े अन्य लोग भी इसके तहत कानूनी कार्रवाई के दायरे में आते हैं।

जेआरसी के आंकड़ों के अनुसार संगठन देशभर में अब तक दो लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवा चुका है और पांच करोड़ से ज्यादा लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिला चुका है। बालोतरा-बाड़मेर में इस अभियान का नेतृत्व कर रहे जिला समन्वयक राजेंद्र सिंह ने प्रेस वार्ता में बताया कि अगर पुरोहित वर्ग बाल विवाह कराना बंद कर दे तो देश में इस अपराध का सफाया संभव है। हमें खुशी है कि बालोतरा-बाड़मेर में यह परिवर्तन तेजी से आ रहा है।

 

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