राजनीतिक

कर्नाटक में सत्ता की रस्साकशी: DK या सिद्धारमैया? इस दिग्गज नेता को मिला सबसे बड़ा समर्थन

बेंगलुरु 
कर्नाटक सरकार में मचे घमासान को लेकर दिल्ली में जल्द बैठक हो सकती है। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने इसे लेकर आधिकारिक तौर पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। खबर है कि ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की कथित सीक्रेट डील को लेकर सीएम सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार के बीच तकरार जारी है। हालांकि, अटकलें हैं कि सिद्धारमैया का पलड़ा भारी हो सकता है। मीडिया की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि फिलहाल सिद्धारमैया के पद पर आंच नहीं आएगी। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी जानती है कि वह OBC यानी अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के बड़े नेता हैं। साथ ही उन्हें अहिंदा समुदाय के साथ पार्टी के 100 से ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है। कांग्रेस के कुल 137 विधायक हैं। ऐसे में उनकी सहमति के बगैर नेतृत्व परिवर्तन आलाकमान के लिए भी आसान नहीं होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री शिवकुमार और उनके समर्थकों की तरफ से डाला जा रहा दबाव कैबिनेट फेरबदल टाल सकता है। माना जा रहा था कि सिद्धारमैया कैबिनेट में फेरबदल करना चाह रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, शिवकुमार के प्रयासों को आंतरिक समर्थन में कमी के चलते कमजोर माना जा रहा है। हालांकि, वोक्कलिगा समुदाय उनका समर्थक माना जाता है।

दोनों पक्षों के लिए अड़े समर्थक
सिद्धारमैया और शिवकुमार का समर्थन करने वाले जाति समूह खुलकर उनके पक्ष में आ गए है। एक समूह ने कांग्रेस को मौजूदा मुख्यमंत्री को हटाने के खिलाफ चेतावनी दी, जबकि दूसरे समुदाय ने शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने का पुरजोर समर्थन किया। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग समुदाय महासंघ (केएसएफबीसीसी) ने कांग्रेस को चेतावनी दी है कि राज्य इकाई में अंदरूनी कलह के मद्देनजर सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री पद से हटाने का कोई भी प्रयास पार्टी पर असर डालेगा, जबकि कर्नाटक राज्य वोक्कालिगारा संघ ने चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के साथ अगर अन्याय हुआ तो वह इसका कड़ा विरोध करेगा।

अहिंदा (अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग और दलित समुदायों के लिए संक्षिप्त कन्नड़ नाम) सिद्धरमैया का प्रमुख वोटबैंक माना जाता है, वहीं कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं जो एक प्रभावशाली कृषक समुदाय है जिसके कई नेता जैसे के. हनुमंतैया, के.सी. रेड्डी, एच.डी. देवगौड़ा, एस.एम. कृष्णा, सदानंद गौड़ा और एच.डी. कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

वोक्कालिगारा संघ के अध्यक्ष एल. श्रीनिवास ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव के दौरान शिवकुमार ने कड़ी मेहनत की, पूरे राज्य का दौरा किया, संगठन को मजबूत किया और उनके प्रयासों के कारण कांग्रेस को 140 सीट पर जीत मिली।’’ उन्होंने 2023 में हुए कथित ‘‘सत्ता-साझाकरण’’ समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों में इस बात को लेकर संदेह है कि सिद्धरमैया शिवकुमार को जिम्मेदारी हस्तांतरित करेंगे या नहीं।

संघ के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम वोक्कालिगा संघ की ओर से कांग्रेस आलाकमान से अनुरोध करते हैं कि शिवकुमार को कम से कम उनके प्रयासों के लिए तो ‘कुली’ (ईनाम) दिया जाए।’’ श्रीनिवास ने शिवकुमार से कांग्रेस आलाकमान द्वारा किए गए वादे को पूरा करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री पार्टी के लिए जेल भी जा चुके हैं।

हालांकि, केएसएफबीसीसी ने सिद्धारमैया का समर्थन किया और कहा कि अनुभवी नेता को हटाने की किसी भी कोशिश का पार्टी पर बड़ा असर पड़ेगा। केएसएफबीसीसी के अध्यक्ष के. एम. रामचंद्रप्पा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अहिंदा इस बदलाव के घटनाक्रम से बेहद दुखी है। उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि धार्मिक प्रमुख भी इस चर्चा में भाग ले रहे हैं और धमकी दे रहे हैं कि वे भी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को हटाने की मांग करने वालों में शामिल होंगे।

केएसएफबीसीसी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ये धमकियां नई नहीं हैं, बल्कि बहुत लंबे समय से दी जाती रही हैं। आजादी के बाद से ही ऐसा होता आ रहा है। हम दलित समुदाय इन धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे।’’ रामचंद्रप्पा ने कहा, ‘‘अगर धर्मगुरु और वोक्कालिगा संघ आंदोलन करने को तैयार हैं, तो हम भी अपने नेता को नहीं छोड़ेंगे। अहिंदा समुदाय की 70 प्रतिशत आबादी ने इस सरकार को समर्थन दिया है। हम अहिंदा समुदाय के किसी नेता को गिराने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’

 

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