100 सालों में हुआ आबादी का विस्फोट, भारत की तेजी ने दुनिया को चौंकाया

नई दिल्ली
इतिहास, भूगोल की तरह ही जनसांख्यिकी भी एक रोचक विषय है। कैसे दुनिया की आबादी बढ़ी क्या कारण रहे और फिर किसी एक दौर में आकर इसमें कैसे ठहराव आता है और गिरावट की स्थिति नजर आने लगती है। यह दिलचस्प विषय रहा है। बीते कुछ समय से भारत में जनसंख्या के असंतुलन की बातें की जा रही हैं। इसके अलावा यह भी चिंता जताई जा रही है कि वर्ष 2100 के बाद से भारत में आबादी में तेजी से गिरावट आएगी। इसकी वजह है कि फिलहाल लोग परिवार बढ़ाने में पहले की पीढ़ियों की तुलना में कम रुचि ले रहे हैं। इसके बाद भी दुनिया की आबादी फिलहाल 8 अरब है और इस सदी के अंत तक आंकड़ा 11 अरब तक पहुंचने की बात की जा रही है।
यह उच्चतम लेवल होगा और उसके बाद एक बार फिर से गिरावट का दौर शुरू होगा। इस बीच एक दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत 1947 में जब आजाद हुआ था, तब उसकी आबादी 33 करोड़ ही थी। आज देश की जनसंख्या 1 अरब 40 करोड़ है। इस तरह अकेले भारत में ही आबादी एक अरब से ज्यादा बढ़ गई है। ऐसा ही पूरी दुनिया में 20वीं सदी में देखने को मिला। 1900 में दुनिया की आबादी 1 अरब 60 करोड़ ही थी, जो अब 4 गुना से ज्यादा तेजी से बढ़कर 8 अरब के पार है। दिलचस्प है कि वर्ष 1700 में तो पूरी दुनिया की आबादी ही 61 करोड़ थी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आबादी में इतनी तेजी से इजाफा इन 100 सालों में ही क्यों हुआ।
वर्ष 1600 के मुकाबले 15 गुना बढ़ गई है आबादी
यदि वर्ष 1600 से तुलना करें तो अब तक दुनिया की आबादी में 15 गुना का इजाफा हुआ है। आखिर 20वीं सदी में ही इतनी आबादी क्यों बढ़ी? इसका जवाब यह है कि मेडिकल की दुनिया में कई बड़े आविष्कार हुए हैं। इसके कारण मृत्यु दर में कमी आई है और जन्म दर बढ़ी है। शिशु मृत्यु दर भी कम हुई है और इसके चलते भी आबादी बढ़ी है।
एशिया और अफ्रीका में तेज है आबादी बढ़ने की गति
यही नहीं औद्योगिक विकास के कारण आय हेतु भी परिवारों में ज्यादा बच्चे पैदा करने का चलन शुरू हुआ। इसके अलावा औद्योगिक विकास से आय में इजाफा हुआ तो चिकित्सा क्षेत्र में कई रिसर्च हुए। कई जानलेवा रोगों से मुक्ति पाने में भी सरकारों को मदद मिली है। इसके कारण भी आबादी में इजाफा देखा गया है। हालांकि बीते 200 सालों में आबादी बढ़ने की गति अफ्रीका और एशिया की ज्यादा रही है। अब भी देखा जा रहा है कि दक्षिण एशिया, अफ्रीका जैसे इलाकों में आबादी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन कई देशों में गिरावट की स्थिति है।