देश

संकट की घड़ी में पीएम मोदी की मदद: शेख हसीना ने बताई पूरी कहानी, दिया खास जवाब

नई दिल्ली 
भारत में शरण लेने वालीं बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि मुश्किल समय में भारत के लोगों और पीएम मोदी ने उनकी मदद की थी। खास बात है कि बांग्लादेश की कोर्ट ने हसीना को मौत की सजा सुनाई है। हालांकि, उनके प्रत्यर्पण को लेकर स्थिति साफ नहीं है। मीडिया से बातचीत में हसीना से सवाल किया गया कि पीएम मोदी ने उनकी मदद कैसे की। इसपर उन्होंने जवाब दिया, 'मैं निजी बातचीत या रिश्तों के बारे में बात नहीं करना चाहती। हालांकि, मैं आपको यह बता सकती हूं कि मैं भारत के लोगों और उनकी तरफ से लगातार मिल रहे समर्थन की आभारी हूं।'

बांग्लादेश के मौजूदा हालात के बारे में पीएम मोदी की भूमिका पर भी उनसे सवाल किया गया। हसीना ने जवाब दिया, 'भारत बहुत ही अहम पड़ोसी है। मैं प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन और हमारे देशों के बीच पुराने संबंधों की कद्र करती हूं। व्यक्तिगत और कूटनीतिक रूप से भी मैं संकट में मिले शरण के प्रति आभारी हूं। भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते बांग्लादेश के हित में है। ये क्षेत्रीय स्थिरता को लंबे समय तक टिकाए रखने में मदद कर सकते हैं।'

अमेरिका की भूमिका?
हसीना से बांग्लादेश संकट में अमेरिका की भूमिका की अफवाहों को लेकर सवाल किया गया। उन्होंने कहा, 'अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से कोई भूमिका होने से इनकार किया है और अब तक पब्लिक डोमेन में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो इसके खिलाफ हो। बगैर सबूत आरोप लगाने के कारण स्थिरता को बहाल करने, जिम्मेदार का पता करने और राष्ट्रीय एकता की राह से भटकने का जोखिम होता है।'

बेटे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
बांग्लादेश में एक विशेष न्यायाधिकरण ने हसीना के निर्वासित बेटे साजिब वाजेद जॉय के खिलाफ गुरुवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया। यह वारंट मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप में उनकी मां को मौत की सजा सुनाने के एक महीने बाद जारी किया गया है। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) के एक अभियोजक ने संवाददाताओं को बताया, 'न्यायाधिकरण ने जुलाई के विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध करने के लिए उनके (जॉय के) विरुद्ध दर्ज मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।'

उन्होंने बताया कि आईसीटी मामलों के तत्कालीन कनिष्ठ मंत्री जुनैद अहमद पलक के विरुद्ध भी इसी प्रकार का वारंट जारी किया गया था। पलक पहले से ही जेल में हैं। आईसीटी-बीडी ने पूर्व प्रधानमंत्री और उनके तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन को दबाने के प्रयासों के लिए मौत की सजा सुनाई। यह फैसला उनकी गैर हाजिरी में सुनाया गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button