राजनीतिक

‘वोट चोरी’ विवाद पर निशिकांत दुबे का पलटवार: बोले— कांग्रेस ही चोरों की सरदार

नई दिल्ली 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने 'वोट चोरी' के मुद्दे पर कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सिर्फ अपने मुस्लिम वोट बैंक से मतलब है। वह आज भी मुस्लिम परस्त राजनीति कर रही है। यही वजह है कि वे एसआईआर और ईवीएम के विरोध में हैं। निशिकांत दुबे ने बुधवार को संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस को 'मूर्ख पार्टी' बताया। उन्होंने कहा, 'संसद में मैंने सुकुमार सेन के बारे में कहा था। 1953 में एक गवर्नर जनरल का एग्रीमेंट हुआ था। उस समय सूडान के मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए जाते थे, उन्हें गवर्नर बोला गया। इस पर कांग्रेस के लोग मुझे कह रहे हैं कि 'गवर्नर और एंबेसडर' के बारे में फर्क नहीं पता है। यही कांग्रेस की मूर्खता की पराकाष्ठा है।" निशिकांत दुबे ने 'वोट चोरी' पर जवाब देते हुए कहा, "आरके त्रिवेदी और एस रमा देवी को गवर्नर बनाया। सोनिया गांधी को बचाने वाले एमएस गिल मंत्री बने। टीएन शेषन ने एक बयान में बोला था कि जब मैं कमेटी में जाता हूं तो 'स्टांप मुहर' बन जाता हूं।"
उन्होंने 2010 में मुख्य सतर्कता अधिकारी रहे पीजे थॉमस का उल्लेख करते हुए कांग्रेस को घेरा। भाजपा सांसद ने कहा, 'पीजे थॉमस के ऊपर पामोलीन आयात घोटाले का आरोप था। उस आरोपी का सुषमा स्वराज ने काफी विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस नियुक्ति को खारिज किया था। उसी तरह से एक सीबीआई डायरेक्टर थे, जिन्होंने 2जी में कांग्रेस को लाभ पहुंचाया, एनएचआरसी का सदस्य नहीं बन पाए तो यूपीएससी का सदस्य बना दिया गया। भ्रष्टाचार के कारण ही यूपीएससी की मेंबरशिप से उन्हें हटना पड़ा।"
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, "कांग्रेस 'चोरों की सरदार' है, इसलिए कोई भी राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेता।"
जिन्ना से लेकर सलमान रुश्दी को लेकर कांग्रेस की नीति पर निशिकांत दुबे ने कहा, "कांग्रेस के खिलाफ पहले कोई बयान आता था, तो जवाहर लाल नेहरू सीधे जिन्ना को चिट्ठी लिखते थे। उसी तरह से, जब नेहरू कभी जिन्ना के खिलाफ बोलते थे, तो जिन्ना भी उन्हें वापस लिखकर भेजते थे कि ऐसा क्यों बोल रहे हैं?"
एक लेखक का जिक्र करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा, "नेहरू मेमोरियल से सोनिया गांधी ने सारी चिट्ठी चुराईं। इस बारे में लगातार नेहरू मेमोरियल ने लिखा है, लेकिन उन्होंने चिट्ठियां वापस नहीं की हैं।"

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