पंजाबराज्य

हाईकोर्ट शिफ्ट पर फैसला वकील करेंगे, चंडीगढ़ में नई जगह तय

चंडीगढ़

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को स्थानांतरित करने को लेकर अब अंतिम निर्णय बार एसोसिएशन (PHHCBA) के हाथ में होगा। हाईकोर्ट के मौजूदा परिसर के विस्तार या इसे नए स्थान पर शिफ्ट करने का फैसला मतदान से तय किया जाएगा।

वर्तमान में हाईकोर्ट चंडीगढ़ के सेक्टर-1 में स्थित है, जो सुखना झील के कैचमेंट एरिया और यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट "कैपिटल कॉम्प्लेक्स" का हिस्सा है।

यही कारण है कि इसके विस्तार की संभावना लगभग खत्म हो गई है और लंबे समय से नए विकल्प तलाशे जा रहे थे। इसी क्रम में 20 अगस्त को PHHCBA की कार्यकारिणी समिति ने सर्वसम्मति से हाईकोर्ट को चंडीगढ़ के सरणगपुर गांव में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया।

25 वर्षों तक जरूरतें पूरी करने में सक्षम होगा प्रस्ताव के मुताबिक, सरणगपुर में हाईकोर्ट का नया परिसर बनाने के लिए 48.865 एकड़ भूमि निर्धारित की गई है, जिनमें से 15 एकड़ जमीन पहले ही आवंटित की जा चुकी है। यहां करीब 42 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल का नया भवन तैयार किया जाएगा, जो आने वाले 20 से 25 वर्षों तक जरूरतें पूरी करने में सक्षम होगा।

एसोसिएशन का कहना है कि सरणगपुर बेहतर विकल्प है क्योंकि यहां मेट्रो स्टेशन प्रस्तावित है, पीजीआई की ओर से फ्लाईओवर, चौड़ी सड़कें और मोहाली व एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी। साथ ही चारों दिशाओं से एंट्री-एग्जिट की सुविधा और बिना ट्रैफिक जाम के आवागमन की संभावना इसे और उपयुक्त बनाती है।

एक और विकल्प पर भी चल रहा विचार मौजूदा परिसर में ही विस्तार करने की योजना को भी विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इसके तहत बार रूम के सामने नए कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जा सकता है। इसमें दो मंजिला अंडरग्राउंड पार्किंग और ऊपर तीन मंजिलें होंगी। इससे करीब 16 नए कोर्टरूम जुड़ जाएंगे। इस योजना की लागत लगभग 200 करोड़ आंकी गई है।

हालांकि यह निर्माण कार्य यूनेस्को से मंजूरी मिलने पर ही संभव होगा। एसोसिएशन का कहना है कि मंजूरी की प्रक्रिया में कम से कम डेढ़ साल लगेगा और इसके बाद निर्माण में पांच साल से अधिक का समय लग सकता है। इस दौरान परिसर में भीड़, पार्किंग की समस्या, धूल और आवाजाही में दिक्कतें बढ़ जाएंगी।

अदालत की सख्त टिप्पणी 22 अगस्त को चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस रमेश कुमारी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट को शिफ्ट करने जैसा महत्वपूर्ण फैसला केवल कार्यकारिणी समिति नहीं ले सकती। इसे एसोसिएशन की जनरल बॉडी के समक्ष रखा जाना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक जनरल बॉडी इस प्रस्ताव को पारित नहीं करती, इसे मान्यता नहीं दी जाएगी।

बार एसोसिएशन का रुख PHHCBA ने बार सदस्यों के लिए जारी नोटिस में कहा है कि मौजूदा परिसर में विस्तार का विकल्प लंबा समय लेगा और फिर भी हाईकोर्ट की जरूरतों को पूरी तरह पूरा नहीं कर पाएगा। जबकि सरणगपुर में नया परिसर एक स्थायी समाधान होगा और सुविधाओं से भरपूर होगा। एसोसिएशन ने कहा कि दोनों ही योजनाओं में 5 से 7 साल का समय लग सकता है, लेकिन सरणगपुर का विकल्प भविष्य के लिए बेहतर साबित होगा।

अब अंतिम फैसला वकीलों के वोट से अब हाईकोर्ट को शिफ्ट करने या नहीं करने का फैसला बार एसोसिएशन के सदस्य वकीलों के मतदान से तय होगा। मतदान की तारीख और प्रक्रिया जल्द घोषित की जाएगी। PHHCBA सचिव गगनदीप जम्मू ने कहा कि “यह फैसला ऐतिहासिक और भविष्य को प्रभावित करने वाला है। इसलिए सभी सदस्य अपने मूल्यवान वोट जरूर डालें।”

अभी जरूरत के अनुसार छोटी है हाईकोर्ट वर्तमान में हाईकोर्ट की स्वीकृत क्षमता 85 कोर्टरूम की है, लेकिन फिलहाल केवल 69 कोर्टरूम ही कार्यशील हैं। बढ़ते मामलों और न्यायिक ढांचे की जरूरतों को देखते हुए हाईकोर्ट के विस्तार या स्थानांतरण पर यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।

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