बिहार-झारखण्‍डराज्य

नशामुक्त समाज की राह दिखा रही हैं जीविका दीदी

कोशी मलवरी परियोजना के तहत 4,500 दीदियों को मलबरी की खेती और रेशम कीट पालन से जोड़ा गया

जीविका दीदियों द्वारा अब तक 987 पौधशालाएं तैयार की गई हैं

पटना,

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ग्रामीण विकास विभाग की महत्वाकांक्षी योजना ‘जीविका’ अब केवल महिलाओं की आर्थिक मजबूती का जरिया नहीं रह गई है, बल्कि सामाजिक बदलाव की एक सशक्त ताकत बन चुकी है। गांव–गांव में सक्रिय 60,000 से अधिक ग्राम संगठन आज नशामुक्ति और बाल विवाह रोकथाम के लिए संगठित अभियान चला रहे हैं। महिलाओं की अगुवाई में निकल रही जागरूकता रैलियां, नुक्कड़ नाटक और चौपाल बैठकें गांव की तस्वीर बदल रही हैं। शराबबंदी नियमों के अनुपालन में भी जीविका दीदियों की भूमिका निर्णायक साबित हो रही है। जहां कभी शराब और तंबाकू का सेवन आम था, वहां अब सामूहिक

चेतना और सामाजिक दबाव से सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगा है।
सिर्फ सामाजिक सुधार ही नहीं बल्कि जीविका दीदियां पर्यावरण और आजीविका सृजन में भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और मनरेगा के समन्वय से जीविका दीदियों द्वारा अब तक 987 पौधशालाएं तैयार की गई हैं और 4.25 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना के तहत 4,500 दीदियों को मलबरी की खेती और रेशम कीट पालन से जोड़ा गया है। वहीं, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की साझेदारी से 372 महिलाएं सोलर लैंप निर्माण कर अपने उद्यम चला रही हैं। गया जिले में स्थापित जे-डब्लूआईआरईएस कंपनी इस कार्य को गति दे रही है।

गौरतलब है कि महिलाओं की पहल शिक्षा और कैरियर निर्माण तक भी पहुंच रही है। जीविका के तहत 33 जिलों के 110 प्रखंडों में सामुदायिक पुस्तकालय सह कैरियर विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण बच्चों को पढ़ाई में सहयोग और करियर मार्गदर्शन मिल रहा है।

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