मॉस्को में पुतिन से मिले जयशंकर, तेल-गैस मसले पर ट्रंप प्रशासन और यूरोप को सुनाई खरी-खरी

नई दिल्ली/ मॉस्को
रूस दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और उसके बाद वो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिले. विदेश मंत्री का 19-21 अगस्त का रूस दौरा चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि इस दौरान उन्होंने अमेरिका के ट्रंप प्रशासन और यूरोप को खरी-खरी सुनाया. विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने रूस दौरे में साफ कर दिया कि रूस से व्यापारिक संबंधों को लेकर भारत को टार्गेट करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
रूसी तेल की खरीद को लेकर ट्रंप प्रशासन ने हाल के महीनों में भारत पर दबाव काफी बढ़ा दिया है और 25% का टैरिफ भी बढ़ाकर अब 50% कर दिया है. अमेरिका बार-बार कह रहा है कि रूसी तेल की खरीद कर भारत यूक्रेन में चल रहे रूसी युद्ध में मदद कर रहा है.
हालांकि, भारत ने भी सख्ती दिखाई है और साफ कर दिया है कि वो किसी दबाव में नहीं झुकेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा.
पहले विदेश मंत्री और फिर राष्ट्रपति पुतिन से जयशंकर की मुलाकात
विदेश मंत्री ने अपने रूस दौरे में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से द्विपक्षीय मुलाकात की और उसे बेहद सफल बताया. दोनों नेताओं की बैठक गुरुवार को राजधानी मॉस्को में हुई जिसमें विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस के रिश्ते द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक परिदृश्य में सबसे स्थिर और भरोसेमंद रहे हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि यह साझेदारी केवल राजनीतिक नहीं है बल्कि इसमें रक्षा, विज्ञान और तकनीक, व्यापार, निवेश और दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंधों में मजबूती भी शामिल है.
रूसी विदेश मंत्री के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक विश्वास और सहयोग की नींव भी मजबूत हुई है.
वहीं, सर्गेई लावरोव ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि हालिया दौरों से द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा मिलेगी. इसी दौरान लावरोव ने घोषणा की कि इस साल के अंत में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत जाने का संभावना है.
लावरोव से मुलाकात के बाद ही विदेश मंत्री राष्ट्रपति पुतिन से भी मिले. रूसी मीडिया में पुतिन-जयशंकर की मुलाकात का वीडियो सामने आया है जिसमें पुतिन विदेश मंत्री के साथ गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाते दिख रहे हैं.
रूस दौरे में जयशंकर ने अमेरिका-यूरोप को सुना दी खरी-खरी
विदेश मंत्री ने मॉस्को से ही अमेरिका के ट्रंप प्रशासन और यूरोपीय देशों को खूब सुनाया और कहा कि तेल और गैस सब खरीद रहे हैं लेकिन जानबूझकर निशाना सिर्फ भारत को बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चीन और यूरोपीय संघ रूसी ऊर्जा के बड़े खरीदार हैं. उन्होंने कहा कि भारत केवल वैश्विक बाजारों को स्थिर करने के लिए काम कर रहा है, जैसा कि अमेरिका ने भी भारत से करने के लिए कहा था.
रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर बढ़ते दबाव को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, '…हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, बल्कि चीन है. हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, बल्कि यूरोपीय संघ है. हम वो देश नहीं हैं जिसका 2022 के बाद से रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ा उछाल आया है. मुझे लगता है कि ऐसा दक्षिण के कुछ और देशों के साथ हुआ है.'
विदेश मंत्री ने आगे कहा, 'अमेरिका ही है जो पिछले कुछ सालों से हमसे कहता आ रहा था कि ग्लोबल एनर्जी मार्केट को स्थिर करने के लिए भारत को सबकुछ करना चाहिए जिसमें रूसी तेल की खरीद भी शामिल है. संयोग से, भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है और अब हमने अमेरिका से तेल खरीदना बढ़ा भी दिया है. इसलिए ईमानदारी से कहूं तो हम उस तर्क से बहुत हैरान हैं जिसका आपने उल्लेख किया था…' विदेश मंत्री अमेरिका के उस तर्क का जिक्र कर रहे थे जिसमें उसने भारत पर यूक्रेन में युद्ध में मदद का आरोप लगाया है.
अमेरिका से तनाव के बीच भारत-रूस का व्यापार बढ़ाने पर जोर
एक शीर्ष दूत ने कहा कि भारत और रूस अगले पांच सालों में अपने वार्षिक व्यापार को लगभग 50% बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना चाहते हैं. इसके लिए दोनों देश एक-दूसरे के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम करने को लेकर भी बातचीत कर रहे हैं.
जयशंकर ने कहा कि इसके लिए दोनों देशों को व्यापार के रास्ते में आनेवाली मुश्किलों को दूर करना होगा और 100 अरब डॉलर का टार्गेट हासिल करने के लिए टैरिफ कम करना होगा.
रूस भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. टैरिफ के खतरों को देखते हुए भारत अमेरिका से दूरी बना रहा है और रूस, चीन जैसे व्यापारिक साझेदारों के करीब जा रहा है.