किसानों के कल्याण और पूरी अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करने के लिए निरंतर बढ़ता रहे सिंचाई क्षेत्र : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

आने वाले 3 वर्ष में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार 100 लाख हेक्टेयर तक करें
भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि किसानों की समृद्धि के साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सिंचाई क्षेत्र का निरंतर विस्तार आवश्यक है। इसके लिए जल संसाधन विभाग और सभी संबंधित एजेंसियां तेजी से कार्य करें। वर्तमान में शासकीय स्रोतों से प्रदेश में सिंचाई प्रतिशत 52 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। इसे शीघ्र ही दोगुना करने का लक्ष्य ध्यान में रखकर कार्य किया जाए जिससे आने वाले 3 वर्ष में प्रदेश में 100 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार हो जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि के साथ ही उद्योग क्षेत्र में पानी देने, पेयजल प्रबंध और ऊर्जा उत्पादन में जल का उपयोग जल संसाधन विभाग के स्रोतों से हो रहा है। सिंचाई के 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लक्ष्य के अनुसार जल संसाधनों के समुचित उपयोग को पूरी प्राथमिकता दी जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरूवार को जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान विभिन्न परियोजनाओं से बढ़ रहे सिंचाई क्षेत्र की जानकारी भी प्राप्त की।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने किए हैं लाभकारी प्रावधान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अंतर्राज्यीय नदी जोड़ो परियोजनाओं जैसे केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना, संशोधित पार्वती-काली-सिंध चंबल लिंक परियोजना को अति उपयोगी बताते हुए कहा कि इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश के लगभग आधे जिलों की तस्वीर बदल जाएगी। राज्य के अंदर भी नदी जोड़ो परियोजनाओं के क्रियान्वयन की दिशा में कार्य प्रारंभ कर लाभ प्राप्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नदियों को जोड़ने का स्वप्न भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल ने देखा जिसे प्रधानमंत्री श्री मोदी साकार कर हैं। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा ऐसी परियोजनाओं के लिए 90% राशि देने का लाभकारी प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की मंशा के अनुसार राज्यों की ऐसी पहल को प्रोत्साहित किया जा रहा है। नदी जोड़ो परियोजनाओं के कार्य जैसे-जैसे क्रियान्वित होंगे, सिंचित क्षेत्र बढ़ेगा, साथ ही खुशहाली भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल संसाधन विभाग की ओर से राज्य के अंदर नदी जोड़ो प्रकल्पों की संभावनाओं का सर्वेक्षण और अध्ययन कर प्रतिवेदन तैयार किया जाए। केन्द्र सरकार को ऐसे प्रस्ताव भेजकर स्वीकृति प्राप्त की जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की सिंहस्थ : 2028 के कार्यों की समीक्षा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान शिप्रा शुद्धिकरण, नदी एवं जल निकायों के विकास और घाट निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की। बैठक के दौरान बताया गया कि वर्तमान में शिप्रा पर लगभग 30 किलोमीटर लंबाई में घाट निर्माण का कार्य हो रहा है, यह सभी कार्य वर्ष 2027 में पूर्ण करने का लक्ष्य है। घाटों के निर्माण से सिंहस्थ के दौरान एक दिन में लगभग 5 करोड़ श्रद्धालु स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे। शिप्रा नदी पर बैराज निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की गई।
सिंचाई क्षेत्र में हुई है उल्लेखनीय वृद्धि
बैठक में बताया गया कि रबी 2023-24 में प्रदेश में सिंचित रकबा 44.56 लाख हेक्टेयर था जो रबी 2025-26 में बढ़कर 52.06 हो गया है। इस तरह बीते डेढ़ वर्ष में प्रदेश के सिंचाई क्षेत्र में 7.50 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसमें जल संसाधन विभाग द्वारा 2.39 और नर्मदा घाटी विकास विभाग 5.11 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने में सफलता प्राप्त की गई है। बताया गया कि प्रदेश में आगामी पांच वर्ष में 200 करोड़ से अधिक लागत की 38 सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी, जिसके फलस्वरूप 17 लाख 33 हजार 791 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार होगा। इस वर्ष 2 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई क्षेत्र बढ़ेगा, जो मोहनपुरा बांयीतट परियोजना जिला राजगढ़, चंदेरी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना जिला अशोकनगर, पंचमनगर सिंचाई परियोजना जिला दमोह एवं सागर, त्योंथर बहाव योजना जिला रीवा और घोघरी मध्यम परियोजना जिला बैतूल के माध्यम से संभव होगा। बैठक में जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास डॉ. राजेश राजौरा सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।