उत्तर प्रदेशराज्य

आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल ने भारतीय मूल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सबिह खान को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बनाया

मुरादाबाद

आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ऐपल में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। कंपनी ने भारतीय मूल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सबिह खान को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) बनाया है। वह जेफ विलियम्स की जगह लेंगे जो लगभग 30 साल की सर्विस के बाद इसी साल रिटायर होने जा रहे हैं। विलियम्स अभी कुछ समय तक टिम कुक को रिपोर्ट करते रहेंगे। वह ऐपल की डिजाइन टीम और हेल्थ से जुड़े कामों को भी देखेंगे।

सबिह खान का जन्म 1966 में उत्तर प्रदेश की पीतल नगरी मुरादाबाद में हुआ था। स्कूली दिनों में ही वह सिंगापुर चले गए थे। कुछ समय बाद ही वह अमेरिका चले गए। Tufts University से इकनॉमिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री लेने के बाद उन्होंने Rensselaer Polytechnic Institute (RPI) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली। ऐपल में आने से पहले सबिह खान जीई प्लास्टिक्स में काम करते थे। वहां वह एप्लिकेशन डेवलपमेंट इंजीनियर और टेक्निकल लीडर थे।

सफलता की सीढ़ियां
सबिह खान ने 1995 में ऐपल के प्रोक्योरमेंट ग्रुप को ज्वाइन किया था। धीरे-धीरे वह आगे बढ़ते गए और 2019 में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बने। पिछले छह साल में उन्होंने ऐपल की ग्लोबल सप्लाई चेन को संभाला है। इसमें प्लानिंग, खरीदारी, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और प्रोडक्ट को पूरा करना शामिल है। सबिह खान ने ऐपल के सप्लायर रिस्पॉन्सिबिलिटी प्रोग्राम को भी देखा है। यह प्रोग्राम कर्मचारियों की सुरक्षा, शिक्षा और पर्यावरण की देखभाल पर ध्यान देता है।

टिम कुक ने सबिह खान के बारे में कहा कि वह एक शानदार रणनीतिकार हैं। वह ऐपल की सप्लाई चेन के मुख्य आर्किटेक्ट रहे हैं। सबिह ने ऐपल की सप्लाई चेन को बनाने और मजबूत करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने एडवांस मैन्युफैक्चरिंग में नई टेक्नोलॉजी को लाने में मदद की है। उन्होंने अमेरिका में ऐपल की मौजूदगी को बढ़ाया है। साथ ही, उन्होंने पर्यावरण के लक्ष्यों को भी आगे बढ़ाया है। ऐपल ने अपने कार्बन फुटप्रिंट को 60 प्रतिशत से ज्यादा कम कर दिया है।

कुक ने क्या कहा
कुक ने यह भी कहा, 'सबिह की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह दिल से और ईमानदारी से काम करते हैं। मुझे पता है कि वे एक बेहतरीन चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बनेंगे।' सबिह खान ने ऐपल की ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग पहल को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सप्लायरों के साथ मिलकर पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने के लिए काम किया है। उनकी वजह से ऐपल ग्लोबल चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहा है।

 

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