
चंडीगढ़
हरियाणा में सरकारी डाक्टरों को अनिश्चितकालीन हड़ताल के पीछे प्रशासनिक कारणों से अधिक संगठनात्मक गुटबाजी और आगामी चुनाव को प्रमुख वजह माना जा रहा है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के भीतर दी गुटों के टकराव से यह आंदोलन तेज हुआ है। एक गुट हड़ताल पर अडिग है. जबकि दूसरा मरीजों को परेशान कर आंदोलन के पक्ष में नहीं है। फिर भी आठ व नौ दिसंबर की हड़ताल के बाद बुधबार से डाक्टरों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया, जिसकी शुरुआत पंचकूला में हुई।
सरकार द्वारा बातचीत के लिए बुलाने और अधिकांश मांगें मान लेने के बाद भी हड़ताल जारी रहने से प्रदेश में हजारों मरीज प्रभावित हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने कहा डाक्टरों की अधिकतर मांगें पहले ही स्वीकार कर ली गई हैं और सरकार अब भी संवाद को तैयार है। मरीजों की परेशानी देख सरकार ने लगभग ढाई हजार वैकल्पिक डाक्टरों की तैनाती की है। दस दिसंबर को 2531 वैकल्पिक डाक्टर तैनात हुए और 74 डाक्टरों ने ड्यूटी ज्वाइन की।
मामला पहुंचा हाई कोर्ट
प्रदेश में डाक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस पर हाई कोर्ट वीरवार को सुनवाई करेगा। याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला निवासी अरविदर सेठ ने हाई कोर्ट को बताया कि सरकारी अस्पताल राज्य में मेडिकल सुविधाओं की रीढ़ है। अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के अक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए है। इस निर्णय के चलते प्रदेश में मेडिकल सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई है। भते व स्पेशलिस्ट कैडर बनाने की मांग भी मानी है। माडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम की अधिसूचना पर जल्द निर्णय का संकेत दिया है।











