मध्य प्रदेश

संकल्प से सिद्धि: CM मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य हब का विकास

  • संकल्प से सिद्धि: स्वास्थ्य हब बनता मध्य प्रदेश
  • मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के नेतृत्व में  चिकित्सा शिक्षा और आयुष क्षेत्र में ऐतिहासिक कायाकल्प की गाथा

भोपाल 

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएँ अब केवल चुनावी वादों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह दीर्घकालिक सेवा और सुदृढ़ नीति का प्रमाण बन चुकी हैं। 2003 से पहले जहाँ प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति स्थिर थी, वहीं आज डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार ने इसे 'जन-आंदोलन' का रूप दे दिया है। एलोपैथी के आक्रामक विस्तार से लेकर आयुष के पुनरुत्थान तक—मध्य प्रदेश अब "बेसिक मेडिकल शिक्षा" से आगे बढ़कर "एडवांस्ड हेल्थ केयर" की ओर कदम बढ़ा चुका है। 

चिकित्सा शिक्षा – विस्तार, गुणवत्ता और भविष्य (2003-2028)
1. ठहराव से रफ़्तार तक का सफ़र (ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य) आंकड़े गवाह हैं कि प्रदेश ने पिछले दो दशकों में कैसे लंबी छलांग लगाई है:
सीमित अतीत (1946-2003): 1970 के पूर्व और उसके बाद कई दशकों तक मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगभग स्थिर रही। 1946 से 2003 के बीच ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और रीवा जैसे चुनिंदा शहरों तक ही चिकित्सा शिक्षा सीमित थी। 2003 तक प्रदेश में शासकीय मेडिकल कॉलेज मात्र 5 थे और कुल कॉलेज केवल 6 थे ।

बदलाव का दौर (2004-2023): सागर (2009) जैसे नए शासकीय कॉलेज खुले और निजी क्षेत्र को भी अवसर मिला। 2018-19 के बाद विदिशा, दतिया, शहडोल, खंडवा, शिवपुरी और छिंदवाड़ा जैसे जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू हुए, जिससे चिकित्सा शिक्षा संभाग से निकलकर जिले की दहलीज़ तक पहुँची ।

2. डॉ. मोहन यादव सरकार का 'आक्रामक विस्तार' (2023 के बाद) वर्तमान सरकार ने मेडिकल शिक्षा के विस्तार को नई दिशा दी है:
रिकॉर्ड उपलब्धि: 2003 से पहले जितने मेडिकल कॉलेज खुले थे, डॉ. मोहन यादव की सरकार ने लगभग उतने ही कॉलेज केवल दो वर्षों में खोल दिए हैं ।

हर लोकसभा तक पहुँच: सिवनी, नीमच, मंदसौर, श्योपुर और सिंगरौली जैसे सुदूर जिलों में नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं। आज प्रदेश का हर लोकसभा क्षेत्र मेडिकल कॉलेज से जुड़ने की दहलीज़ पर खड़ा है ।

वर्तमान स्थिति (2025): आज शासकीय मेडिकल कॉलेजों की संख्या 14 से बढ़कर 19 और निजी कॉलेजों की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो चुकी है। यानी कुल 33 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं ।

3. सीटों में अभूतपूर्व वृद्धि (MBBS, PG और सुपर स्पेशलिटी) डॉक्टरों की कमी के पुराने तर्क को ध्वस्त करते हुए सीटों में भारी इजाफा किया गया है:
MBBS सीटें: 2003 में मात्र 1,250 सीटें थीं। 2023-24 में यह 4,875 हुईं और 2025-26 के सत्र में यह बढ़कर 5,550 (शासकीय: 2850, निजी: 2700) हो गई हैं। यह वृद्धि जनसंख्या वृद्धि की तुलना में कहीं अधिक है ।

PG और सुपर स्पेशलिटी (एडवांस्ड केयर): सरकार का फोकस केवल MBBS तक सीमित नहीं है।

PG सीटें: कुल PG (MD/MS) सीटें बढ़कर 2,862 हो गई हैं ।

सुपर स्पेशलिटी: शासकीय क्षेत्र में सीटें 47 से बढ़कर 64 हो गई हैं और कुल सीटें 93 हैं। यह संकेत है कि मप्र अब एडवांस्ड हेल्थ केयर की ओर बढ़ रहा है ।

4. अभिनव पहल: पीपीपी (PPP) मॉडल और भविष्य का रोडमैप (2026-28) सरकार निजी निवेश और सार्वजनिक लक्ष्यों के समन्वय से बड़े लक्ष्य साध रही है:

PPP मॉडल पर प्रगति : 4 मेडिकल कॉलेजों—कटनी, धार, पन्ना, और बैतूल—के लिए MoU हस्ताक्षरित हो चुके हैं ।

निविदा प्रक्रिया जारी : 9 जिलों—अशोकनगर, मुरैना, सीधी, गुना, बालाघाट, भिंड, टीकमगढ़, खरगोन और शाजापुर—में पीपीपी मोड पर कॉलेज खोलने की प्रक्रिया प्रगतिरत है ।

2026-28 का विजन : दमोह, बुधनी, छतरपुर, राजगढ़, मंडला और उज्जैन में कुल 6 नवीन कॉलेज प्रस्तावित हैं ।

महायोग (Grand Total) : योजनानुसार, 2028 तक प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या 52 हो जाएगी और MBBS सीटें 7,450 तक पहुँचने का अनुमान है ।
5. सुधरते सामाजिक मानक (Impact Metrics)

डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात : प्रति 10 लाख जनसंख्या पर MBBS सीटों की उपलब्धता 2003 में 20.8 थी, जो 2025 में 63 तक पहुँच चुकी है। 2028 तक यह राष्ट्रीय औसत के करीब होगी ।

विधानसभा स्तर पर सुधार : प्रति विधानसभा सीट MBBS औसत 2003 में 5 था, जो अब बढ़कर 24 हो गया है।

आयुष विभाग – गौरवशाली परंपरा, आधुनिक उपलब्धियाँ
एलोपैथी के साथ-साथ 'निरोगी काया' के संकल्प को पूरा करने के लिए आयुष विभाग ने भी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं:

1. अधोसंरचना और मानव संसाधन का सुदृढ़ीकरण

नए पदों का सृजन : 05 नए आयुर्वेद महाविद्यालयों के लिए 1570 पद, 50/30 बिस्तरीय आयुष चिकित्सालयों हेतु 1179 पद और 58 जिला आयुष विंगों में 213 पद सृजित किए गए हैं।

फैकल्टी की कमी दूर: शासकीय महाविद्यालयों में सीनियर फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए 543 आयुर्वेद, 35 होम्योपैथी, 14 यूनानी चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति और 74 को उच्च पद का प्रभार दिया गया है।

8 नवीन महाविद्यालय: नर्मदापुरम, मुरैना, शहडोल, बालाघाट, सागर, झाबुआ, शुजालपुर और डिंडोरी में 8 नए आयुर्वेद महाविद्यालयों की स्वीकृति प्रदान की गई है।

2. चिकित्सालयों का विस्तार और उन्नयन

वेलनेस टूरिज्म: प्रदेश में 12 'वेलनेस टूरिज्म केंद्र' स्थापित किए गए हैं, जो स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर: 238 औषधालयों को अपग्रेड कर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' (Health & Wellness Centres) में परिवर्तित किया गया है और 108 नए औषधालयों का निर्माण किया गया है।

नए 50-बिस्तरीय और 30-बिस्तरीय चिकित्सालयों का निर्माण एवं संचालन निरंतर जारी है।

3. आगामी 3 वर्षों की कार्य-योजना (भविष्य की झलक) आयुष विभाग ने अगले तीन वर्षों के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार किया है:
नए संस्थान: 8 नए आयुर्वेद महाविद्यालय, 1 होम्योपैथी महाविद्यालय और 13 नए आयुष चिकित्सालयों (12 पचास-बिस्तरीय, 1 तीस-बिस्तरीय) का संचालन शुरू होगा।

छात्र सुविधाएँ: सभी आयुष महाविद्यालयों में 100-सीटर छात्रावास और स्वयं की फार्मेसी स्थापित की जाएगी।
एकीकृत स्वास्थ्य (Integrated Health): सभी जिला एलोपैथी चिकित्सालयों में 'आयुष विंग' और 'पंचकर्म यूनिट' स्थापित की जाएगी। सिकल सेल और जनजातीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का विस्तार होगा।

डिजिटल क्रांति : 'E-औषधि' और 'E-Hospital' प्रणाली लागू कर ऑनलाइन औषधि आपूर्ति और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाएगी।

अनुसंधान : प्रमुख पर्यटन स्थलों पर आयुष वेलनेस सेंटर और अत्याधुनिक अनुसंधान लैब का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

मेडिकल कॉलेजों की संख्या 6 से 52 तक ले जाने का लक्ष्य और आयुष को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प। यह केवल आँकड़े नहीं हैं। यह प्रमाण है कि डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में 'अंत्योदय' की भावना के साथ काम कर रही है। बुनियादी ढांचे से लेकर मानव संसाधन तक, यह समग्र विकास मध्य प्रदेश को एक स्वस्थ और सशक्त राज्य के रूप में स्थापित कर रहा है।

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