मप्र के कूनो नेशनल पार्क से निकलकर मुरैना पहुंचे पांच चीते, जौरा में सड़क पार करते नजर आए

मुरैना,
मध्य प्रदेश के कूनाे नेशनल पार्क से निकलकर एक बार फिर चीते दूर जा पहुंचे हैं। इस बार पांच चीतों का एक समूह मुरैना में देखा गया है। ये चीते रविवार सुबह जौरा के पास डैम के करीब सड़क पर घूमते हुए दिखाई दिए। वहां मौजूद लोगों ने उनका वीडियो बना लिया। सूचना मिलते ही वन विभाग, चीता मित्रों की टीम निगरानी के लिए तैनात कर दी गई है और ग्रामीणों को अलर्ट रहने की सलाह दी है। इधर चीतों को लेकर गांवों के लोग दहशत में भी है।
दरअसल, मुरैना जिले के जौरा इलाके में रविवार सुबह कूनो नेशनल पार्क से निकले पांच चीते पगारा बांध के पास नजर आए। रविवार सुबह सैर पर निकले राहगीरों ने जब अचानक चीतों को देखा तो वे दहशत में आ गए। वहां माैजूद लाेगाें ने चीतों का वीडियो बनाया। डिप्टी रेंजर विनोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि रविवार सुबह 6:45 बजे कैलारस से आए चीते जौरा के पगारा डैम की कोठी पर देखे गए। जौरा वन क्षेत्र के स्टाफ को लोकेशन मिलते ही टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई। चीते अभी भी पगारा डैम की कोठी की घटिया पर बैठे हुए हैं। चीता मित्र उनके पास मौजूद हैं और कुछ दूरी पर निगरानी कर रहे हैं। वन विभाग की टीम ने इलाके को घेरकर निगरानी शुरू कर दी है।
प्रभारी डिप्टी रेंजर विनोद ने बताया कि ये चीते कूनो नेशनल पार्क श्योपुर से कैलारस होते हुए जौरा क्षेत्र में पहुंचे हैं। वर्तमान में सभी चीते पगारा डैम, कोठी और जोगी देवगढ़ गांव की घटिया के ऊपरी क्षेत्र में आराम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चीतों के साथ चार चीता मित्र भी मौजूद हैं। चीतों के गले में ट्रैकिंग कॉलर लगे हैं, जिनसे उनकी लोकेशन की जानकारी मिल रही है। वन विभाग की टीम चीतों के साथ-साथ चल रही है और उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही है। उन्होंने बताया कि अब तक चीतों ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।
चीतों के आने से इलाके में दहशत : जौरा और आसपास के ग्रामीण इलाकों में चीते आने से दहशत का माहौल है। लोग समूह में ही बाहर निकल रहे हैं और बच्चों को घरों के अंदर ही रखा जा रहा है। चीतों के वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है। विभाग ने ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की है। विभाग ने लोगों को खेतों में अकेले न जाने, बच्चों को बाहर खेलने से रोकने और चीतों की लोकेशन की जानकारी तत्काल वन विभाग या स्थानीय प्रशासन को देने का निर्देश दिया है।