उत्तर प्रदेशराज्य

मुख्य सचिव एस. पी. गोयल की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और अधिक सुगम बनाया गया

लखनऊ
 मुख्य सचिव  एस. पी. गोयल की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) को और अधिक सुगम  एवं निवेशकों के लिए सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से ‘अनुपालन न्यूनीकरण एवं विनियमन शिथिलीकरण 2025’ (Compliance Reduction & Deregulation) पहल की प्रगति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में इन्वेस्ट यूपी समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सुधारों की दिशा में हुई प्रगति तथा आगामी कार्ययोजना पर मंथन किया।

          मुख्य सचिव ने समयबद्ध, समन्वित कार्रवाई और फीडबैक आधारित सुधारों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश केवल व्यवस्थाएं सुधार नहीं रहा है, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए पुनर्परिभाषित कर रहा है। उन्होंने कहा कि सभी सुधारों को वर्षांत तक निवेश मित्र 3.0 के साथ पूर्ण रूप से एकीकृत किया जाए, ताकि निवेशकों को समग्र और सरल अनुभव मिल सके।

           बैठक में भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय द्वारा गठित टास्क फोर्स के सुझावों पर भी चर्चा हुई और उत्तर प्रदेश में निवेश अनुकूल वातावरण बनाने की प्रतिबद्धता को दोहराया गया, जो नियामक सरलीकरण, डिजिटलीकरण और सरल प्रक्रिया के माध्यम से साकार की जा रही है। इन सुधारों के कार्यान्वयन राज्य की निवेश प्रोत्साहन एजेंसी ‘इन्वेस्ट यूपी’ द्वारा किया जा रहा है।

            सीईओ इनवेस्ट यूपी श्री विजय किरण आनंद ने राज्य की सिंगल विंडो प्रणाली ‘निवेश मित्र 3.0’ के उन्नत संस्करण पर प्रस्तुतीकरण दिया, जो वर्ष अंत तक शुरू होगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह पोर्टल 44 से अधिक विभागों की 525+ सेवाएं प्रदान करता है। नए संस्करण के माध्यम से सेवा प्रदायगी की समय-सीमा में 30% की कमी, आवेदन एवं स्वीकृति प्रक्रियाओं को सरल बनाने तथा दस्तावेजों की आवश्यकता को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे निवेशकों को त्वरित, पारदर्शी और उपयोगकर्ता-केंद्रित अनुभव मिलेगा।

             अब तक राज्य सरकार ने 45 विभागों में 4,675 से अधिक सुधार लागू किए हैं—जिनमें 2,500+ व्यापार केंद्रित परिवर्तन, 1,586 नागरिक सेवाओं में सुधार और 577 आपराधिक प्रावधानों की समाप्ति शामिल है। यह समग्र परिवर्तन उत्तरदायी शासन की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े एक रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से सेवा वितरण और शिकायत निवारण की निगरानी भी की जा रही है।

             श्रम, अग्निशमन, राजस्व एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभागों ने उल्लेखनीय सुधार दर्ज किए हैं। जैसे फैक्ट्री एक्ट के तहत फॉर्म की संख्या (फील्ड्स)  को 127 से घटाकर 50 कर दिया गया है, जिससे प्रक्रिया अधिक सरल और त्वरित हुई है।

            मार्च 2025 से प्रारंभ हुई विनियमन शिथिलीकरण मुहिम को कैबिनेट सचिवालय की  (Deregulation Cell) 'डि-रेगुलेशन सेल' संचालित कर रही है। जिसमें राज्यों के बीच परामर्श और विभागीय समीक्षा से क्रियान्वयन को गति मिली है।
             इन सुधारों का दायरा 23 प्रमुख क्षेत्रों और 71 उप-क्षेत्रों में फैला है, जिसमें आवास एवं नगरीय नियोजन, श्रम, उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन (यूपीपीसीएल), अग्निशमन, राजस्व और इन्वेस्ट यूपी जैसे विभाग शामिल हैं। प्रमुख सुधारों में लाइसेंस की वैधता अवधि में विस्तार, जोखिम आधारित निरीक्षण प्रणाली और महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट की अनुमति जैसे बदलाव शामिल हैं।

             बैठक में कुछ दूरदर्शी सुझावों पर भी चर्चा हुई—जैसे भवन उपविधियों में संशोधन कर भूमि की बर्बादी रोकना, उद्योगों में महिलाओं पर लगे पुराने प्रतिबंध हटाना और फैक्ट्री/व्यापार लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाना। साथ ही द्विभाषी फॉर्म, डीआईवाई (Do-It-Yourself) वीडियो ट्यूटोरियल्स, रिस्पॉन्सिव कॉल सेंटर और जागरूकता अभियान जैसे सुधारों पर भी जोर दिया गया।
             निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए राज्य सरकार दो ऐतिहासिक ‘डीक्रिमिनलाइजेशन विधेयक’ का मसौदा तैयार कर रही है, जिनके माध्यम से राज्य और समवर्ती सूची के अधिनियमों में 98% से अधिक कारावास संबंधी प्रावधान समाप्त किए जाएंगे—यह उत्तर प्रदेश को एक प्रगतिशील और व्यापार-अनुकूल विधिक ढांचा प्रदान करेगा।

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