उत्तर प्रदेशराज्य

मुख्यमंत्री योगी की दूरदर्शी सोच और सूझबूझ से वर्षों की समस्या हुई सॉल्व, किसानों में खुशी की लहर

एल्गिन का फार्मूला… करोड़ों की बचत लाखों काे फायदा

सीएम नहर पर मिट्टी के बांध बनाने की जगह शारदा के साढ़े सात किमी में डेजिंग से बाढ़ की समस्या से दिलाई निजात 

सीएम की सूझबूझ से 180 करोड़ का प्रोजेक्ट महज 22 करोड़ में सिमटा, किसानों को बांध के लिए नहीं गंवानी पबड़ी अपनी जमीन  

डेजिंग से बाढ़ की समस्या होगी खत्म, 16 गांव और उनके खेतों को मिला इसका लाभ 

सीएम की दूरदर्शी सोच से अपने पुराना स्वरूप में लौटी शारदा नह, अपने मूल बहाव में बहने लगी शारदा

2017 में एल्गिन ब्रिज में भी सीएम किया था यही काम, वहां खर्चा 115 करोड़ से घटकर रह गया था 5 करोड़

लखनऊ
पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार भारी बारिश से प्रदेश के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। योगी सरकार द्वारा लगातार इन इलाकों में युद्धस्तर पर राहत कार्य किये जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच और प्रशासनिक कुशलता से प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ का प्रभाव देखने को नहीं मिला है। इस बार लखीमपुर खीरी, सीतापुर, पीलीभीत, बाराबंकी समेत दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां बाढ़ का प्रकोप न के बराबर है। इसकी मुख्य वजह सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इन जिलों में बहने वाली नदियों में डेजिंग से नदियों का मूल स्वरूप वापस लौट आया और वह दोबारा अपने मूल प्रवाह में बहने लगीं। इसी के तहत शारदा नहर में डेजिंग की गई। इसका नतीजा यह रहा कि जहां पिछले कई वर्षों से शारदा नहर के तेज बहाव से बाढ़ से प्रभावित जिलों में इस बार बाढ़ का प्रकोप देखने को नहीं मिला और लाखों की जनसंख्या में जनमानस और खेतिहर भूमि पर बाढ़ का प्रभाव देखने को नहीं मिला। इतना ही नहीं डेजिंग कार्य से राजस्व को भी करोड़ों का फायदा हुआ।

वर्तमान में शारदा में बह रहा 4 लाख क्यूसेक पानी
प्रदेश के करीब 12 जिलों से होकर शारदा नहर प्रवाहित होती है। ऐसे में मानूसन के दौरान जब नेपाल में भारी बारिश होती है तो वहां से शारदा नहर में पानी छोड़ दिया जाता है, जिससे शारदा विकराल रूप धारण कर लेती है। वर्तमान में शारदा नहर में 4 लाख क्यूसेक पानी बहर रहा है। इससे प्रदेश के 12 जिलों में बहने वाली शारदा नहर के विकराल प्रवाह से काफी नुकसान होता है। सीएम योगी ने समस्या का संज्ञान लिया। साथ ही सीएम योगी ने लखीमपुर खीरी के शारदा नहर क्षेत्र में वर्षों से चल रही बांध निर्माण की कवायद को महज कुछ मिनटों में सुलझाकर यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और व्यवहारिक सूझबूझ से करोड़ों के प्रोजेक्ट को भी कम लागत में और समय रहते पूरा किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह निर्णय उनकी प्रशासनिक दक्षता, संवेदनशीलता और ग्रामीणों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण बन गया है। उन्होंने यह दिखाया कि सरकार यदि चाहे तो लंबे समय से लटके हुए और जटिल मुद्दों का समाधान सरल, सस्ता और प्रभावी ढंग से निकाल सकती है। सीएम योगी की सूझबूझ से 180 करोड़ का प्रोजेक्ट महज 22 करोड़ में सिमट गया, समस्या का समाधान भी हो गया और लाखों किसानों और ग्रामीणों का फायदा हो गया। सीएम के निर्णय से शारदा नहर क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर है। 

बाढ़ से करीब ढाई लाख लोग और 10 हजार हेक्टेयर खेतिहर भूमि हर साल होती थी प्रभावित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बैठक में उच्च अधिकारियों ने बताया था कि मानूसन के दौरान लखीमपुर खीरी की पलिया क्षेत्र बहने वाली शारदा नहर में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हर साल पलिया और निद्यासन क्षेत्र के लाेग बाढ़ की समस्या से जूझते हैं। इसके साथ ही शारदा नहर के प्रवाह से 12 जिलों में बाढ़ का प्रकोप हर साल रहता है। अधिकारियों ने बताया कि यहां पर शारदा नहर और समपरती भूमि बराबर हो गयी है। इससे हर साल बाढ़ का पानी आस-पास के गांव, खेत और रेलवे लाइन को प्रभावित करता है। इससे प्रत्यक्ष रुप से 16 गांव की 80 हजार आबादी और अप्रत्यक्ष रूप से करीब डेढ़ लाख लोग प्रभावित होते हैं। वहीं हर साल 10 हजार हेक्टेयर से अधिक खेतिहर भूमि प्रभावित होती है। उन्होंने इस समस्या से निजात के लिए सीएम के सामने शारदा नहर पर मिट्टी का बांध बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सीएम योगी ने गहनता से समझा। उन्होंने बताया कि बांध के लिए 40 हेक्टेयर जमीन की जरुरत पड़ेगी। इसके लिए करीब 200 किसानों से जमीन अधिग्रहित करनी होगी। अधिकारियों ने मिट्टी के बांध बनाने की लागत 180 करोड़ बतायी।  

सीएम ने बोला, शारदा की डेजिंग ही है स्थायी समाधान, नहीं होगी किसी को परेशानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि शारदा नहर का बहाव हमेशा काफी तेज रहता है और बारिश के दिनों में तो और अधिक बहाव हो जाता है। ऐसे में मिट्टी का बांध कब तक काम करेगा। इस पर अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा, क्या स्थानीय किसान अपनी जमीन देने को तैयार हैं। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय किसान अधिग्रहण को लेकर राजी नहीं है, इसी वजह से वर्षों से समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले पर गहनता से सोचने के बाद अधिकारियों से कहा कि यदि शारदा नहर के करीब साढ़े सात किलोमीटर के क्षेत्र में डेजिंग कराई जाए तो क्या समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शारदा नहर और समपरती भूमि बराबर हो गयी है, इससे ही बाढ़ की समस्या हर साल उत्पन्न हो रही है।  

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