राज्यहरियाणा

PM मोदी और अमित शाह का AI वीडियो शेयर करने वाले डॉक्टर को कोर्ट से बड़ी राहत

चंडीगढ़ 
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर एआई जनरेटेड वीडियो साझा करने के मामले में गिरफ्तार किए गए आर्थोपेडिक सर्जन डा मुश्ताक अहमद को जमानत दे दी है। उन्हें 17 मई 2025 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से वह न्यायिक हिरासत में थे।जस्टिस एन एस शेखावत ने कहा, जांच लगभग पूरी हो चुकी है और इस चरण पर आरोपित से कोई बरामदगी नहीं होनी है। याचिकाकर्ता वरिष्ठ नागरिक हैं और सहानुभूतिपूर्वक विचार का पात्र हैं। अदालत ने यह भी माना कि उनकी आगे की हिरासत किसी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगी।

फतेहाबाद निवासी डा मुश्ताक अहमद पर भारतीय न्याया संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य ) और धारा 197(1)(डी) (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कथन या आरोप) के तहत मामला दर्ज किया गया था।विवाद उस समय खड़ा हुआ जब डा अहमद ने 14 मई को फेसबुक पर तीन वीडियो साझा किए। इनमें से एक वीडियो एआई तकनीक से तैयार किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को लेकर कथित टिप्पणी करते दिखाई दे रहे थे।

इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय सेना का मज़ाक उड़ाया गया था, साथ ही पाकिस्तानी सेना के पक्ष में समर्थन व्यक्त किया गया था।पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में बताया गया था कि यह वीडियो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को भी ठेस पहुंचाने वाला है।सरकारी वकील ने अदालत में तर्क दिया कि वीडियो देश विरोधी तत्वों को प्रोत्साहित कर सकता है और इससे देश की जनता में भ्रम और अस्थिरता फैल सकती है। वहीं, बचाव पक्ष ने जमानत याचिका में कहा कि डा मुश्ताक का उद्देश्य किसी भी प्रकार से देशद्रोह नहीं था और वह इस वीडियो की तकनीकी प्रकृति को लेकर जागरूक नहीं थे।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बिपिन घई व निखिल घई ने तर्क दिया कि डा अहमद ने वीडियो बनाया नहीं बल्कि केवल साझा किया था, और उसे अपराध से जोड़ने वाला कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि डा अहमद पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान नहीं गए हैं और उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार वे कई उम्र संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हैं।हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद डा मुश्ताक अहमद को कुछ शर्तों के साथ जमानत प्रदान की। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता, विशेषकर जब यह देश की अखंडता को खतरे में डालने लगे।अदालत ने आरोपित को जांच में सहयोग करने और भविष्य में इस प्रकार की गतिविधियों से दूर रहने की हिदायत दी है। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button