मध्य प्रदेश

लोकतंत्र केवल शासन पद्धति नहीं, बल्कि जीवन की आत्मा है : तोमर

लोकतंत्र केवल शासन पद्धति नहीं, बल्कि जीवन की आत्मा है : तोमर

तोमर का संदेश: लोकतंत्र सिर्फ शासन नहीं, यह जीवन की आत्मा है

“लोकतंत्र जीवन की आत्मा है, केवल शासन पद्धति नहीं” – तोमर

तोमर ने उजागर किया लोकतंत्र का असली महत्व, इसे बताया जीवन की आत्मा

स्व. विट्ठल भाई पटेल शताब्दी वर्ष समारोह

अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन में तोमर का संबोधन

भोपाल 

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत का लोकतंत्र केवल शासन पद्धति भर नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की आत्मा है। लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी रही हैं। यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक सत्य है कि भारत ने ही दुनिया को लोकतंत्र का बीज दिया। लोकतंत्र हमारे लिए केवल संविधान की देन नहीं है, बल्कि सबसे पुरानी जीवन परंपरा का हिस्सा है, जो हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति, समाज और राजनीति का मार्गदर्शन करता आया है।

तोमर दिल्ली विधानसभा में आयोजित केंद्रीय विधानसभा के प्रथम निर्वाचित भारतीय स्पीकर स्व. विट्ठल भाई पटेल शताब्दी वर्ष समारोह में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन में “भारत−लोकतंत्र की जननी” विषय पर व्याख्यान सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस सत्र का विषय प्रवर्तन राज्यसभा के उपसभापति हरवंश ने किया। दो दिन चले व्याख्यान सत्र में देश के लगभग 12 विधानसभा अध्यक्षों/उपाध्यक्षों ने अपने विचार रखे। समापन सत्र के दौरान लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार एवं दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित थे।

तोमर ने कहा कि भारत का लोकतंत्र केवल शासन पद्धति भर नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की आत्मा है। लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी रही हैं। आज दुनिया के अनेक लोग यह मानते हैं कि लोकतांत्रिक मूल्य यूनान से शुरू हुए, लेकिन सच यह है कि भारत में उनकी नींव बहुत पहले पड़ चुकी थी।

"ऋग्वेद" और "अथर्ववेद" में 'सभा' और 'समिति' जैसे शब्दों का उल्लेख मिलता है। ये संस्थाएँ सामूहिक विमर्श और निर्णय का प्रतीक थीं, जिनमें राजा तक को अपनी राय थोपने का अधिकार नहीं था। उपनिषद भी हमें यही शिक्षा देते हैं। "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः" जैसी प्रार्थनाएँ केवल धार्मिक मंत्र नहीं हैं। यह मानवता की साझी भलाई, समानता और समावेश का उद्घोष है। यही लोकतंत्र का मूल तत्व है। लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देना और सरकार चुनना नहीं है। लोकतंत्र का मतलब है ऐसी व्यवस्था जिसमें सबका कल्याण, सबकी साझेदारी और सबकी सुरक्षा सुनिश्चित हो। यही बात हमारे ऋषियों ने हजारों साल पहले कह दी थी।

विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने कहा कि स्व. विट्ठलभाई पटेल ने तत्कालीन राजनीति को नए आयाम दिए और लोकतंत्र के नए मानदंड स्थापित किए। सभी राज्यों की विधानसभाओं को उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। तोमर ने कहा कि यह भवन विपिन चंद्र पाल एवं पं. मदन मोहन मालवीय की कर्म स्थली रही है। स्व. बटुकेश्वर दत्त और स्व. भगत सिंह के बम कांड की गवाही भी यह भवन देता है यह हमारी स्वतंत्रता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण घटना है।

तोमर ने कहा कि भारत की चुनाव प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। हर पाँच साल में करोड़ों नागरिक मतदान करके सरकार चुनते हैं। सत्ता का शांतिपूर्ण परिवर्तन इस बात का प्रमाण है कि जनता को चुनने और बदलने का अधिकार प्राप्त है। यही लोकतंत्र की आत्मा है -जनता सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद भारत का लोकतंत्र मजबूत है। इसका कारण यही है कि यह लोकतंत्र केवल संविधान तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की जनता की चेतना और उसकी संस्कृति में गहराई से रचा-बसा है।

तोमर ने कहा कि अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस लोकतांत्रिक परंपरा को और सशक्त करें। लोकतंत्र का अर्थ केवल सरकार को चुनना नहीं, बल्कि नागरिक के रूप में अपने दायित्वों को निभाना भी है।

सम्मेलन में देशभर की विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष विधान परिषदों के सभापति, उपसभापति एवं विधानसभा सचिवालयों के अधिकारी सम्मिलित हुए। सम्मलेन का शुभारंभ 24 अगस्त को गृहमंत्री भारत सरकार अमित शाह द्वारा किया गया। समापन दिवस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला विशेष रूप से उपस्थित थे। मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव ए पी सिंह भी उपस्थित थे।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button