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चारा घोटाले में लालू यादव की सजा बढ़ाने की मांग, CBI की याचिका हाईकोर्ट में स्वीकार

पटना /रांची 

रांची हाईकोर्ट में बुधवार लालू प्रसाद यादव से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में सुनवाई हुई. यह मामला देवघर कोषागार से अवैध तरीके से पैसे निकालने से जुड़ा है. सीबीआई ने लालू यादव को इस केस में मिली साढ़े तीन साल की सजा को कम बताते हुए, उसे बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी. कोर्ट ने सीबीआई की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है.

अब इस याचिका पर लालू यादव की ओर से पहले से दाखिल की गई अपील के साथ एक साथ सुनवाई होगी. लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने बताया कि कोर्ट ने सभी जरूरी अपीलों को जोड़ते हुए सुनवाई करने का फैसला लिया है. इस केस में कुल 6 लोगों को साढ़े तीन साल की सजा मिली थी, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है. बाकी बचे तीन दोषियों की अपील और सीबीआई की सजा बढ़ाने की मांग पर एक साथ सुनवाई की जाएगी.

देवघर चारा घोटाले में लालू की बढ़ेगी परेशानी

देवघर ट्रेजरी (कोषागार) घोटाला मामले में सीबीआई की ओर से दायर आरसी 64 a96 मामले में पूर्व लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जगदीश शर्मा को इसी मामले में सात-सात साल की सजा और 10-10 लाख रुपए का जुर्माना विभिन्न धाराओं में सीबीआई की विशेष अदालत ने लगाया था, लेकिन लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों को साढ़े तीन-साढ़े तीन साल की सजा और 5-5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था. सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गयी है, जिस पर आज सुनवाई के बाद खंडपीठ ने उसे मंजूर कर लिया. अब इस मामले की विस्तृत सुनवाई होगी.

अधिवक्ता दीपक कुमार भारती ने रखा ये पक्ष

सीबीआई की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार भारती ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस और सुबीर भट्टाचार्य को कम सजा सुनाई थी क्योंकि लालू प्रसाद यादव इस मामले के मास्टरमाइंड थे, लेकिन सह आरोपी को विशेष अदालत ने 7 साल की सजा सुनायी, जबकि मास्टरमाइंड लालू प्रसाद यादव और अन्य को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है. यह सजा काफी कम है. अधिवक्ता ने इस सजा को बढ़ाने का आग्रह किया.

क्या है पूरा मामला?
बता दें कि देवघर कोषागार घोटाला, चर्चित चारा घोटाले का एक हिस्सा है. चारा घोटाले को पशुपालन घोटाला भी कहा जाता है, जो 1990 के दशक में अविभाजित बिहार (अब बिहार और झारखंड) में सामने आया था. इस घोटाले में पशुपालन विभाग के फर्जी बिलों के ज़रिए सरकारी खजाने से करीब 950 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई थी. इसी घोटाले से जुड़ा कोषागार मामला भी है, जिसमें 1995-96 के दौरान 3.13 करोड़ रुपये गैरकानूनी तरीके से निकाले गए थे. इस मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव समेत कई लोगों के खिलाफ आरोप तय हुए थे. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस केस में लालू यादव को 7 साल की सजा और 30 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.

अप्रैल में CBI ने दाखिल की थी याचिका

अप्रैल महीने में चारा घोटाले में लालू यादव की सजा बढ़ाने के लिए CBI ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका स्वीकार करते हुए इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई तीन महीने बाद करने के लिए कहा था।

CBI की तरफ से दलील दी गई कि, देवघर ट्रेजरी घोटाला मामले में CBI की ओर से दायर आरसी 64 a96 मामले में पूर्व लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात साल की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना CBI की विशेष अदालत ने लगाया था।

लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों को साढ़े तीन-साढ़े तीन साल की सजा और 5-5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। CBI की विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई है, जिस पर आज सुनवाई के बाद खंडपीठ ने उसे मंजूर कर लिया। अब इस मामले की विस्तृत सुनवाई होगी।

डोरंडा ट्रेजरी मामले में हुई थी सजा

लालू प्रसाद यादव के खिलाफ डोरंडा ट्रेजरी से अवैध रूप से 139 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का मामला दर्ज हुआ था। चारा घोटाला मामले में ये अकेला मामला नहीं है, इससे पहले भी इसी घोटाले से संबंधित अन्य मामलों में लालू यादव को सजा सुनाई जा चुकी है।

इसमें झारखंड के देवघर, दुमका, चाईबासा और डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले शामिल हैं। लालू यादव को 27 साल की सजा पहले ही सुनाई जा चुकी है। वह जेल भी गए। हालांकि, खराब सेहत के चलते उन्हें कोर्ट ने जमानत दे दी थी।

हरियाणा से मंगाए थे ऊंची नस्ल के मवेशी

चारा घोटाला मामले में कई दिलचस्प बातें सामने आई हैं। पहली तो ये कि अलग-अलग ट्रेजरी से करोड़ों रुपए की अवैध निकासी की गई। इसके अलावा आरोप लगे कि लालू ने मुख्यमंत्री रहते हुए अविभाजित बिहार में अच्छी-ऊंची नस्ल की गाय और भैंस बढ़ाने के लिए हरियाणा से सांड और दूसरे मवेशी मंगवाए थे।

 

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