देश

CBI केस में 43 बार जमानत रोकने पर CJI भड़के: ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी कोई चीज है’

नई दिल्ली 
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने सीबीआई से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा एक आरोपी की जमानत याचिका पर 43 बार रोक लगाने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। CJI गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले में अभियुक्त पहले ही साढ़े तीन साल से ज़्यादा का वक्त हिरासत में बिता चुका है, इसलिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में इस तरह बार-बार जमानत स्थगन स्वीकार नहीं किया जा सकता।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने अभियुक्त रामनाथ मिश्रा को जमानत देते हुए कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में अदालतों को अत्यंत शीघ्रता से विचार करना चाहिए। सीजेआई ने मामले में कहा, “हमने बार-बार यह टिप्पणी की है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों पर अदालतों द्वारा अत्यंत शीघ्रता से विचार किया जाना चाहिए… व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में, हाई कोर्ट्स से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वे मामले को इतने लंबे समय तक लंबित रखें और समय-समय पर सुनवाई स्थगित करने के अलावा कुछ न करें।”

ऐसी प्रवृति हम पसंद नहीं करते: SC
पीठ ने 25 अगस्त के अपने आदेश में कहा, “मौजूदा मामले में 43 बार जमानत स्थगित किया जा चुका है। हम उच्च न्यायालय द्वारा किसी नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामले को इतनी बड़ी संख्या में जमानत स्थगित करने की प्रवृत्ति को पसंद नहीं करते। व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर तुरंत शीघ्रता से गौर किया जाना चाहिए।”

CBI ने फिर किया जमानत का विरोध, SC ने नहीं मानी दलील
सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने इस आधार पर जमानत याचिका का विरोध किया कि हाई कोर्ट में जमानत याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा अगर जमानत दी गई तो इससे एक गलत मिसाल कायम होगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने CBI की इस दलील पर ध्यान नहीं दिया और कहा कि अभियुक्त पहले ही साढ़े तीन साल से ज़्यादा समय हिरासत में बिता चुके हैं और उनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 43 बार स्थगित हो चुकी है। ऐसे में जमानत नहीं देना उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।

इसी मामले में पहले भी HC को फटकार लगा चुका है SC
दिलचस्प बात यह है कि शीर्ष अदालत ने इसी मामले में एक सह-अभियुक्त को 22 मई, 2025 को ज़मानत दे दी थी, जब उसे पता चला था कि उच्च न्यायालय ने उसकी ज़मानत याचिका पर 27 बार सुनवाई स्थगित कर चुका है। शीर्ष अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता को निचली अदालत की संतुष्टि के लिए ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।"

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button