धर्म ज्योतिष

13 महीने का नया साल, 2026 में दो-दो ज्येष्ठ का दुर्लभ संयोग, आचार्य से जानिए इसका महत्व

अधिक मास हिंदू धर्म की अत्यंत पवित्र अवधि है। जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर होता है, उसी तरह हिंदू कैलेंडर में अधिक मास होता है। लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के लीप ईयर में सिर्फ एक दिन की वृद्धि होती है, वहीं अधिक मास होने पर साल में पूरा एक महीना बढ़ जाता है। इसे पुरुषोत्तम मास या मलमास आदि नामों से भी जाना जाता है। हिंदू वर्ष में हर तीन साल में अधिक मास जुड़ता है। अधिक मास जुड़ने पर हिंदू वर्ष 12 नहीं 13 महीनों का हो जाता है।

अधिक मास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किया जाता है। हिंदू धर्म में अधिक मास के समय विवाह, गृह प्रवेश, नई चीजें या नया काम शुरू करने जैसे सभी शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। अधिक मास में पूजा, व्रत और दान आदि करने का बहुत महत्व है। यह माह भगवान पुरुषोत्तम को समर्पित है जो भगवान विष्णु का ही एक अन्य रूप हैं। इस बार अधिक मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल 2026 यानी नए साल में होगा। आइए जानें इसका समय, महत्व और क्या होता है अधिक मास?

क्या है अधिक मास?

नए साल यानी 2026 में हिंदू वर्ष विक्रम संवत 2083 होगा। इसमें एक अतिरिक्त चंद्र मास जुड़ेगा। इसी वजह से साल 2026 में ज्येष्ठ महीने में अधिक मास पड़ेगा। इस दुर्लभ स्थिति की वजह से ज्येष्ठ मास लगभग 60 दिनों का होगा। इसके कारण यह साल 13 महीनों का बन जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह स्थिति तब बनती है जब चंद्र कैलेंडर और सूर्य कैलेंडर की गणना में अंतर होता है। चंद्रमा और सूर्य की गणना में जो फर्क समय-समय पर बढ़ता रहता है, उसे संतुलित करने के लिए पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ दिया जाता है। लगभग हर 32 महीने में करीब 16 दिन और कुछ घंटे मिलकर एक पूरे महीने के बराबर हो जाते हैं। इसी अतिरिक्त समय को सनातन धर्म में अधिक मास कहा जाता है।

कब लगेगा अधिक मास?

पंचांग के अनुसार, साल 2026 में ज्येष्ठ महीना 22 मई से शुरू हो कर 29 जून 2026 तक चलेगा। इससे पहले 17 मई 2026 से अधिक मास की शुरुआत होगी, जो 15 जून 2026 को समाप्त होगा। जब पंचांग में एक ही महीना दो बार आता है, तो उसे पुरुषोत्तम मास या अधिक मास कहा जाता है। यह समय बहुत खास और धार्मिक रूप से शुभ माना जाता है।

कैसे होगे 2026 में 13 महीने?
हिंदू पंचांग के अनुसार नया साल 2026 बेहद खास रहेगा, क्योंकि इस बार ज्येष्ठ मास बढ़ रहा है. मतलब, एक की जगह दो- सामान्य ज्येष्ठ और अधिक ज्येष्ठ रहेंगे. अधिमास के कारण इस बार ज्येष्ठ का काल लगभग 58 से 59 दिनों तक फैल जाएगा. इसे ही अधिकमास या मलमास कहा जाता है, जिसे विशेष धार्मिक कर्मों और पुण्य कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस संयोग के चलते विक्रम संवत 2083 में कुल 13 महीने होंगे, जो अपने आप में एक दुर्लभ घटना है.

कितने दिन का होगा अधिकमास 
साल 2026 में ज्येष्ठ माह का शुभारंभ 22 मई से होगा और यह 29 जून तक चलेगा. इसी दौरान एक महत्वपूर्ण खगोलीय संयोग भी बन रहा है. अधिमास का आगमन, 17 मई 2026, रविवार से शुरू होकर 15 जून 2026, सोमवार को समाप्त होगा यानी आने वाले वर्ष में 17 मई से 15 जून तक का समय अधिकमास का विशेष काल रहेगा, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यफलदायी माना जाता है.

अधिकमास क्या होता है?
हिंदू पंचांग में अधिकमास एक ऐसा विशेष महीना है, जो तब बनता है जब पूरे महीने के दौरान सूर्य किसी भी राशि में प्रवेश नहीं करता. दरअसल, चंद्र मास और सौर मास की गणना में जो अंतर होता है, उसी को संतुलित करने के लिए हर 2–3 साल में एक अतिरिक्त महीना जुड़ जाता है, जिसे अधिकमास या अध्याय मास कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं में अधिकमास का महत्व बेहद पवित्र माना गया है. इस माह में किए गए व्रत, जप, तप, दान–पुण्य और पूजा-पाठ का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक माना जाता है. इसलिए अधिकमास को आत्मिक शुद्धि, संकल्प और पुण्य अर्जित करने का श्रेष्ठ समय बताया गया है.

अधिक मास में करें ये खास उपाय

धार्मिक मान्यता के अनुसार, अधिक मास का समय बहुत पवित्र माना जाता है। लेकिन इस दौरान की गई छोटी सी गलती भी व्यक्ति के पूरे वर्ष पर असर डाल सकती है। इसी वजह से इस दौरान कुछ खास उपाय करने चाहिए, जो कि पूरे वर्ष को ही नहीं जीवन को भी खुशियों से भर सकता है।

घर में रोज सुबह दीपक जलाएं : अधिक मास के दौरान तुलसी के पास या भगवान विष्णु के सामने सरसों के तेल या घी का दीपक रोजाना जलाएं। इससे घर का वातावरण पवित्र, शांत और सकारात्मक रहेगा।

पक्षियों को दाना और पानी देना : अधिक मास में छत या बालकनी में मिट्टी के बर्तन में पानी भरें और दाना डालें। पक्षियों की सेवा अधिक मास में बहुत पुण्यदायी मानी जाती है।

जरूरतमंद को भोजन कराना : इस दौरान गरीब, मजदूर या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। यह सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है।

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