उत्तर प्रदेशराज्य

सख्ती बेअसर! इस साल पराली जलाने के मामले बढ़े, कई जिले टॉप लिस्ट में

लखनऊ 
सरकार की लगातार कोशिशों और सख्ती के बाद भी उत्तर प्रदेश में फसल अवशेष जलाने (स्टबल बर्निंग) के मामले कम होने के बजाय बढ़ते दिख रहे हैं। 15 सितंबर से 26 नवंबर के बीच प्रदेश में 6284 घटनाएं दर्ज हुई हैं, जो पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 1000 अधिक हैं। इससे साफ है कि जागरूकता अभियान, जुर्माना और सैटेलाइट निगरानी जैसी पहलें इच्छित परिणाम नहीं दे पा रही हैं।

महाराजगंज सबसे ज्यादा प्रभावित
फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में महाराजगंज इस बार भी सबसे आगे है, जहां 661 मामले सामने आए हैं।

झांसी – 448
जालौन – 359
कानपुर देहात – 275
गोरखपुर – 192
जिले प्रमुख रूप से प्रभावित रहे।
लगातार प्रयास, पर असर कम
राज्य सरकार पिछले कई वर्षों से इस समस्या पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही
किसानों को जागरूक करने के लिए 3920 कार्यक्रम आयोजित किए गए।
1304 मामलों में कुल 27.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
हर 50–100 किसानों पर नोडल अधिकारी तैनात किए गए।
कम्पोस्टिंग, फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें और बायो-डीकंपोजर जैसी तकनीकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
IARI (पूसा) की ओर से सैटेलाइट डेटा भी साझा किया जा रहा है।

इसके बावजूद आंकड़े बताते हैं कि जलाने की घटनाओं में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी हो रही है। कृषि निदेशक डॉ. पंकज त्रिपाठी के अनुसार, सैटेलाइट डेटा में कुछ बाहरी आग की घटनाएं भी शामिल हो जाती हैं, लेकिन 5968 पुष्ट मामले भी पिछले वर्ष से अधिक हैं। उन्होंने बताया कि इस बार कई किसानों ने बारिश के बाद खेत सुखाने के लिए भी आग लगाई है।
  
जहां से राहत के संकेत
वाराणसी – 3 मामले
संत रविदास नगर – 4
चंदौली, सोनभद्र, फर्रुखाबाद, ललितपुर, आगरा – 5-5
कासगंज – 8

इसके अलावा प्रयागराज, अमरोहा, बदायूं, बलिया, बाराबंकी, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में पिछले साल की तुलना में घटनाएं कम हुई हैं।

सरकार के प्रयास जारी हैं, लेकिन बढ़ते आंकड़े बताते हैं कि अभी भी जागरूकता, तकनीकी सहायता और निगरानी को और प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि फसल अवशेष जलाने जैसी प्रदूषणकारी और मिट्टी को क्षति पहुंचाने वाली प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button