भगवान कृष्ण को ‘माखनचोर’ कहने पर आपत्ति, मोहन सरकार चलाएगी गलत टैग हटाने का अभियान

भोपाल
मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार का मानना है कि भगवान 'श्रीकृष्ण' 'माखनचोर' नहीं थे। कंस के प्रति विद्रोह को गलत तरीके से समझ लिया गया और उन्हें माखनचोर नाम से पुकारा जाने लगा। प्रदेश का संस्कृति विभाग अब भगवान पर लगे इस टैग को हटाने के लिए जन चेतना अभियान चलाएगा। इसमें कथावाचकों, धर्मगुरूओं, समाज के प्रबुद्धजन को इस संबंध में जानकारी दी जाएगी। CM खुद विभिन्न मंचों से श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों का तथ्यों के साथ बखान करते रहेंगे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भगवान श्रीकृष्ण के 'माखनचोर' टैग को गलत बताया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण माखनचोर नहीं थे। उन्होंने घोषणा की कि उनकी सरकार इस गलत धारणा को बदलने के लिए एक सामाजिक जागरूकता अभियान शुरू करेगी। सीएम का कहना है कि श्रीकृष्ण का माखन प्रेम केवल चंचलता नहीं, बल्कि अत्याचार के खिलाफ एक गहरा संदेश था।
'माखनचोर गलत टैग'
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को 'माखनचोर' कहना उनकी छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है। उनके अनुसार, श्रीकृष्ण का माखन चुराने का प्रसंग कंस के अत्याचार के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विद्रोह था। उन्होंने बाल सखाओं के साथ मिलकर माखन चुराकर यह संदेश दिया कि उत्पीड़क को लोगों का हक नहीं मिलना चाहिए। सीएम ने जोर देकर कहा कि यह समय है कि समाज इस ऐतिहासिक गलतफहमी को सुधारे और श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को सही संदर्भ में समझे।
भगवान श्रीकृष्ण के 'सहस्त्रनाम' अर्थात एक हजार नाम हैं। उसमें से एक नाम 'माखनचोर' भी बताया जाता है। एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव का मानना है कि भगवान माखनचोर नहीं थे, उन्होंने माखन को लेकर कंस की नीतियों का विरोध किया और विद्रोह कर दिया। कृष्ण के घर हजारों गाय थीं, जिसके घर दूध-माखन की कमी न हो वह माखनचोर कैसे कहला सकता है। एमपी सरकार कृष्ण पर लगे माखनचोर के इस गलत टैग को हटाने के लिए जन चेतना अभियान प्रारंभ करने जा रही है।
सीएम ने मंच से कहा था, हम कृष्ण के दृष्टिकोण को गलत समझ रहे
जन्माष्टमी पर सीएम ने मंच से कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण का माखन के प्रति जो लगाव है, वो ऐसा है कि उस समय गोकुल से कंस के घर माखन जाता था। भगवान कृष्ण का आक्रोश था कि ये कंस हमारा माखन खाकर हम पर ही अत्याचार कर रहा है। आक्रोश जताने के लिए माता-पिता से लेकर गांव तक उन्होंने ग्वाल-बाल की टोली बनाई थी। उन्होंने अपना माखन खाओ और मटकी फोड़ दो। हमारे दुश्मन को माखन नहीं पहुंचना चाहिए। कृष्ण का दृष्टिकोण सच्चे अर्थों में विद्रोह था, जिसके आधार पर उन्होंने संदेश दिया। हम उस विद्रोह को जाने क्या कहने लगे हैं…
सीएम मंच से कृष्ण के प्रसंगों का बखान करेंगे
सीएम मोहन यादव और उनकी सरकार सामाजिक स्तर पर जनचेतना अभियान प्रारंभ करने जा रही है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के 'माखनचोर' नाम को लेकर सीएम खुद विभिन्न मंचों से कृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों को तथ्यात्मक तरीके से जनता के सामने रखते रहेंगे। सरकार का संस्कृति विभाग कथावाचकों, धर्मगुरुओं, धर्माचार्यों, संत-महात्माओं और समाज के प्रबुद्ध वर्गों को इस तथ्य से अवगत कराएंगे। इसमें उन्हें बताया जाएगा कि कंस की नीतियों के खिलाफ कृष्ण के विद्रोह को माखन की चोरी के रूप में प्रचारित कर दिया गया। इस प्रथा पर रोक लगाई जाएगी।
जिनके घर में हजारों गाय, तो माखन चुराने की जरूरत क्या?
सीएम डॉ. मोहन यादव के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा है कि श्रीकृष्ण के माखनचोर नाम को लेकर परंपरागत धारणा सही नहीं है। उनके घर में हजार से अधिक गाय और गोवंश और भरपूर दूध-माखन हो, फिर वहां उन्हें माखन चुराने की आवश्यकता क्या थी। उनका मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण की यह कहानी चोरी की नहीं बल्कि प्रेम, सादगी और लीला का प्रतीक है।
प्रदेश में श्रीकृष्ण से जुड़े स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करेंगे
मप्र सरकार के संस्कृति विभाग ने मप्र में भगवान श्रीकृष्ण के 3 हजार 200 से अधिक मंदिरों का सर्वे कर चिन्हित किया है। इन मंदिरों में विशेष साफ-सफाई, साज-सज्जा कराई जा चुकी है। सरकार मंदिरों का संरक्षण और सुरक्षा के इंतजाम भी कर रही है। इसके अलावा कृष्ण से जुड़े स्थानों जिनमें उज्जैन का सांदीपनी आश्रम, रायसेन जिले में जामगढ़ की गुफाएं, रूकमणि-कृष्ण मिलन का स्थल अमका-झमका अमझेरा सहित अन्य स्थानों को को तीर्थ के रूप में विकसित और प्रचारित किया जाएगा।
चैतन्य सोनी
सरकार चलाएगी अभियान
मध्य प्रदेश सरकार इस अभियान के जरिए सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर जागरूकता फैलाने की योजना बना रही है। स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक कार्यक्रमों में श्रीकृष्ण के माखन प्रेम के पीछे के सही तथ्यों को बताया जाएगा। सीएम ने कहा कि यह अभियान न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देगा। सरकार का लक्ष्य है कि लोग श्रीकृष्ण को केवल एक चंचल बालक के रूप में नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक और दार्शनिक के रूप में देखें।