एमपी डाक विभाग घोटाला: 1.21 करोड़ की हेराफेरी में तीन अधिकारी दोषी, CBI कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा

जबलपुर
सीबीआई की विशेष कोर्ट ने डाक विभाग के तीन अधिकारियों को भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी के अपराध में दोषी करार दिया है. सीबीआई कोर्ट ने सागर के डाक विभाग में पदस्थ रहे तीन अधिकारियों को पांच-पांच साल तक के कारावास के साथ अर्थदंड से दंडित किया है. कोर्ट ने 17 नवंबर 2022 को दर्ज हुए मामले की लंबी सुनवाई के बाद ये सजा सुनाई है.
क्या है पूरा मामला?
अभियोजन की ओर से बताया गया कि सभी आरोपी सागर जिले के बीना एलएसजी उप डाकघर में पदस्थ रहे हैं. डाकघर के तत्कालीन उप डाकपाल विशाल कुमार अहिरवार, हेमंत सिंह और रानू नामदेव पर आरोप था कि तीनों ने 1 जनवरी 2020 से 5 जुलाई 2021 के बीच डाकघर में जमा लोगों के 1 करोड़ 21 लाख रु से ज्यादा की राशि का हेरफेर करते हुए जमाकर्ताओं को फर्जी पासबुक जारी की थी. जब कुछ जमाकर्ता अवधि पूरी होने पर रूपए निकालने पहुंचे, तभी पूरा मामला उजागर हुआ और फिर शिकायत सीबीआई से की गई.
शासन को पहुंचाया 1 करोड़ 21 लाख का नुकसान
सीबीआई ने जांच के दौरान पाया कि तीनों आरोपियों ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी खजाने को 1 करोड़ 21 लाख 82 हजार 921 रु नुकसान पहुंचाया. इस राशि को गलत तरीके से निकालकर आरोपियों ने उसका उपयोग खुद को लाभ पहुंचाने के लिए किया था.
भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी व जालसाजी के दोषी
सीबीआई ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार,जालसाजी व धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया था. सीबीआई कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किए गए साक्ष्य व गवाहों के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए कारावास व अर्थदंड की सजा से दंडित किया. सीबीआई की ओर से लोक अभियोजन संजय कुमार उपाध्याय ने पैरवी की.
किसे कितनी हुई सजा?
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने तत्कालीन उप डाकपाल विशाल कुमार अहिरवार को 5 साल कारावास की सजा और 39 हजार रु जुर्माना, हेमंत सिंह को 4 साल की सजा और 7 हजार रु जुर्माना और रानू नामदेव को भी 4 साल के कठोर कारावास के साथ 7 हजार रु के अर्थदंड से दंडित किया है.