
भिवानी
भारतीय मूल के प्रख्यात ब्रिटिश उद्योगपति और परोपकारी लॉर्ड स्वराज पॉल का गुरुवार देर रात लंदन में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से भारत और ब्रिटेन दोनों देशों में शोक की लहर दौड़ गई है। अग्रवाल वैश्य समाज के अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यूके में उद्योग, परोपकार और सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए उनके अटूट समर्थन को हमेशा याद किया जाएगा।
पंजाब के जालंधर में हुआ जन्म
लॉर्ड स्वराज पॉल का जन्म 18 फरवरी 1931 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। उनके पिता प्यारे लाल अग्रवाल एक छोटा सा फाउंड्री चलाते थे, जहां स्टील की बाल्टियां और कृषि उपकरण बनाए जाते थे। स्वराज पॉल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जालंधर के लब्बू राम दोआबा स्कूल से प्राप्त की, जहां उनका नाम 'स्वराज पाल' दर्ज था। बाद में उन्होंने फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर और दोआबा कॉलेज, जालंधर में पढ़ाई की। इसके बाद वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने अमेरिका गए।
1960 के दशक में अपनी बेटी अंबिका के कैंसर के इलाज के लिए वे ब्रिटेन चले गए। चार साल की उम्र में अंबिका के निधन ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की स्मृति में 'अंबिका पॉल फाउंडेशन' की स्थापना की। इस फाउंडेशन ने दुनिया भर में बच्चों और युवाओं की शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए लाखों पाउंड का दान दिया।
हाल ही में, उन्होंने भिवानी जिले के चांग गांव में राजकीय सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल के नए भवन निर्माण के लिए करीब 3 करोड़ रुपये का दान दिया। इसके अलावा, देश भर में एपीजे स्कूलों की स्थापना में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जालंधर में अपनी पुरानी स्कूल (अब एपीजे स्कूल) की यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी, पुत्र और पोते के साथ बचपन की यादें ताजा कीं और वहां एक नीम का पौधा भी रोपा, जो आज भी स्कूल परिसर में मौजूद है।
लॉर्ड पॉल ने 1968 में यूके में कपारो ग्रुप की स्थापना की, जो स्टील और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक वैश्विक समूह बन गया। यह समूह यूके, उत्तरी अमेरिका, भारत और मध्य पूर्व में 40 से अधिक स्थानों पर संचालित होता है और अपने चरम पर 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता था। उनकी संपत्ति का अनुमान 2025 में 'संडे टाइम्स रिच लिस्ट' में 2 बिलियन पाउंड आंका गया, जिसके साथ वे 81वें स्थान पर थे।
1978 में उन्हें ब्रिटिश महारानी से नाइटहुड की उपाधि मिली और 1996 में कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री जॉन मेजर द्वारा उन्हें हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लाइफ पीयर नियुक्त किया गया, जिसके बाद वे मैरीलेबोन के लॉर्ड पॉल के रूप में जाने गए। उन्होंने 1998 से 2010 तक ब्रिटिश व्यापार के राजदूत के रूप में भी सेवा दी और 2008 में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के डिप्टी स्पीकर बने। 2012 के लंदन ओलंपिक की बोली में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जहां उन्होंने सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को लंदन के पक्ष में राजी करने वाली टीम का हिस्सा बनकर योगदान दिया।
लॉर्ड पॉल ने वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय और वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में कुलाधिपति के रूप में भी सेवा दी। उनकी फाउंडेशन ने वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय को 2015 में 10 लाख पाउंड का दान दिया, जो विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा एकल दान था। इसके अलावा, लंदन जू में अंबिका पॉल चिल्ड्रन जू और MIT में स्वराज पॉल थिएटर उनकी परोपकारी विरासत के प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्री स्वराज पॉल जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उद्योग, परोपकार और यूके में सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए उनके अटूट समर्थन को हमेशा याद किया जाएगा। मैं हमारी कई मुलाकातों को स्नेहपूर्वक याद करता हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।