मध्य प्रदेश

ड्राइविंग लाइसेंस से लापरवाही का संबंध नहीं, HC ने पलटा फैसला, पीड़ित परिवार को राहत

ग्वालियर

 मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, तो सिर्फ इसी आधार पर उसे लापरवाह नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जब तक बीमा कंपनी ये साबित न कर दे कि मृतक तेज और लापरवाही से गाड़ी चला रहा था, तब तक मुआवजे की रकम में कटौती नहीं की जा सकती।

यह मामला कुंज विहार कॉलोनी, गोला का मंदिर निवासी रेनू चौहान और उनके सास-ससुर से जुड़ा है, जिन्होंने 30 नवंबर 2006 को जिला न्यायालय में क्लेम याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि एक सितंबर 2006 को उनके पति संजू उर्फ संजीव उर्फ राजेंद्र सिंह चौहान बाइक से बाजार जा रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई।

जिला कोर्ट ने मंजूर किए थे सिर्फ 4.4 लाख रुपए

स्वजन ने 15 लाख रुपए का मुआवजा मांगा था, लेकिन जिला कोर्ट ने सिर्फ 4.4 लाख रुपये मंजूर किए और कहा कि मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, इसलिए वो भी बराबर का दोषी है। इसलिए कोर्ट ने सिर्फ आधी रकम यानी 2.2 लाख रुपये देने का आदेश दिया।

इस फैसले के खिलाफ मृतक के स्वजन ने हाई कोर्ट में अपील की, जिनकी ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने दलील दी कि सिर्फ लाइसेंस न होना, लापरवाही का सबूत नहीं होता। जब तक बीमा कंपनी यह साबित न कर दे कि मृतक तेज या गलत तरीके से वाहन चला रहा था, तब तक उसकी गलती नहीं मानी जा सकती।

हाई कोर्ट ने यह तर्क मानते हुए निचली अदालत का फैसला पलट दिया और बीमा कंपनी को आदेश दिया कि मृतक के स्वजन को 6.11 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दी जाए।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button