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तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में फर्जी अंक पत्र और एडमिट कार्ड घोटाले का बड़ा खुलासा, कर्मी निलंबित

भागलपुर

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) एक बड़े शिक्षा घोटाले को लेकर इन दिनों सुर्खियों में है। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में फर्जी अंक पत्र और एडमिट कार्ड जारी करने के मामले में निलंबित कर्मचारी संजय कुमार की संलिप्तता उजागर हुई है। इस मामले ने न केवल विश्वविद्यालय की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।

डीएनएस कॉलेज की छात्रा से हुआ खुलासा
इस फर्जीवाड़े का खुलासा डीएनएस कॉलेज, भूसिया रजौन की छात्रा अंजली कुमारी के फर्जी अंक पत्र से हुआ। जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुलपति प्रो. जवाहर लाल के निर्देश पर जांच कराई, तो पाया गया कि परीक्षा विभाग के एडमिट कार्ड सेक्शन में कार्यरत कर्मचारी संजय कुमार ने ही अंजली को व्हाट्सएप के जरिए फर्जी अंक पत्र भेजा था। संजय कुमार ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए इसे "एक भूल" बताया, लेकिन जांच में उसकी संलिप्तता गहराई से सामने आई।

कहलगांव कॉलेज में भी मिला फर्जीवाड़ा का सुराग
इस घोटाले की परतें तब और खुलीं जब एसएसवी कॉलेज, कहलगांव से एक और शिकायत सामने आई। कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य ने बताया कि बीए पार्ट थर्ड (2025) की दो छात्राओं – तनुजा कुमारी और मीनाक्षी कुमारी – को बिना कॉलेज की स्वीकृति, चालान या रसीद के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए। इन कार्डों पर कॉलेज की मुहर या हस्ताक्षर भी नहीं थे, और न ही इन छात्राओं के नाम विश्वविद्यालय की अल्फाबेटिकल सूची में थे। जांच में यह भी सामने आया कि संजय कुमार के हस्ताक्षर सभी फर्जी दस्तावेजों में पाए गए, साथ ही परीक्षा नियंत्रक के स्कैन हस्ताक्षर का दुरुपयोग भी हुआ।

पैसे लेकर एडमिट कार्ड देने का आरोप
एक छात्रा ने सोशल मीडिया पर बयान देते हुए आरोप लगाया कि संजय कुमार ने उससे पैसे लेकर एडमिट कार्ड उपलब्ध कराया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। कुलपति के निर्देश पर डीएसडब्ल्यू की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय जांच समिति ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि संजय कुमार ने दो फर्जी अंक पत्र, एक फर्जी औपबंधिक प्रमाण पत्र और एक प्रवजन प्रमाण पत्र जारी किए थे। समिति ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए तत्काल निलंबन और एफआईआर की सिफारिश की थी।

संजय कुमार ने "कारण बताओ नोटिस" का जवाब देते हुए अपनी गलती स्वीकार कर ली। इसके बाद कुलपति ने उन्हें पीबीएस कॉलेज, बांका में स्थानांतरित करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही परीक्षा नियंत्रक को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है। संजय कुमार का मोबाइल फिलहाल विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर के पास है और इसे पुलिस को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि इस मोबाइल से घोटाले से जुड़े और भी नाम तथा सबूत सामने आ सकते हैं।

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