मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश में पुनर्नियोजी कृषि पद्धति से सोयाबीन उत्पादन पर हुआ प्रभावी संवाद

भोपाल 
सीहोर जिले के सिरादी ग्राम पंचायत में सोया किसान सम्मेलन का आयोजन सॉलिडेरिडाड, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, यूपीएल लिमिटेड, आईसीएआर-राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय-आरएबीआई, भारतखंड कंसोर्टियम और ग्राम पंचायत सिरादी की संयुक्त भागीदारी से आयोजित किया गया। आयोजन का उद्देश्य सोयाबीन फसल की उन्नत तकनीकी एवं रीजनेरेटिव पद्धति से संरक्षित पर्यावरण अनुकूलता सुनिश्चित करते हुए अधिकतम उत्पादन प्राप्त करना।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुरेश मोटवानी, महाप्रबंधक सॉलिडेरिडाड ने बताया कि जलवायु-अनुकूल भविष्य के निर्माण के उद्देश्य से यूरोपियन-भारत साझेदारी कार्यक्रम के तहत पुनर्नियोजी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए साझा मंच निर्मित किया गया। सम्मेलन में आगामी खरीफ मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों और वैज्ञानिकों के बीच सार्थक सत्रों और संवादों की श्रृंखला चलाई गई। किसानों को रीजनेरेटिव कृषि पद्धतियों के प्रमुख सिद्धांतों, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, जल संरक्षण, फसल विविधीकरण और रासायनिक आदानों पर निर्भरता कम करने के बारे में जागरूक किया गया। भारत सरकार की यह पहल राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन की महत्वाकांक्षा के साथ सीधे तालमेल रखती है, जो टिकाऊ और उत्पादक सोयाबीन खेती के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।

सम्मेलन को सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया इंदौर के कार्यकारी निदेशक डॉ. डीएन पाठक, आईपीएल के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. अनिल, राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र, इंदौर के कृषि वैज्ञानिक डॉ राकेश वर्मा और डॉ. राघवेंद्र नारगुंड, डॉ. लक्ष्मी सिंह, सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एमडी व्यास, सॉलिडरिडाड की ओर से डॉ. सुरेश मोटवानी, डॉ. अनिल खरे, श्री हिमांशु बेस ने संबोधित किया। विशेषज्ञों द्वारा किसानों की जिज्ञासाओं का भी त्वरित समाधान किया गया। इस अवसर पर सीहोर जिले के प्रगतिशील किसानों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अन्वेषा ने किया। आभार प्रदर्शन ग्राम पंचायत सिराडी के सरपंच श्री रघुवीर सिंह ने किया। आयोजन में विशेष भूमिका श्री अनिल मुकाती की रही। सम्मेलन में 600 से अधिक सोयाबीन किसानों ने भाग लिया, कृषि विभाग, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ और खाद्य तेल मूल्य श्रृंखला के हितधारक भी उपस्थित थे।

 

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