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केशव कुंज में खिंचेगा बीजेपी के भविष्य का खाका 

बीजेपी के महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों से लेकर बड़े एजेंडों पर चर्चा होगी

22 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली के केशव कुंज में होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की बैठक भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकती है। यह केवल एक समन्वय बैठक नहीं, बल्कि बीजेपी के संगठन और सत्ता के भविष्य को आकार देने वाला एक मंथन है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ जैसे बड़े एजेंडों पर चर्चा होगी। इस लेख में हम इस बैठक के महत्व, संभावित परिवर्तनों, और दीपक विस्पुते जैसे उभरते चेहरों पर विस्तार से नजर डालते हैं।

केशव कुंज, आरएसएस का नवनिर्मित दिल्ली कार्यालय, केवल एक भवन नहीं, बल्कि हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के विचारों का प्रतीक है। 3.75 एकड़ में फैला यह परिसर 12 मंजिला तीन टावरों, 300 कमरों, एक पुस्तकालय, सभागार, और छोटे अस्पताल के साथ आधुनिक सुविधाओं से लैस है। दान के धन से निर्मित इस भवन में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी एक साथ मौजूद होंगे। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, छह सह-सरकार्यवाह (कृष्ण गोपाल, मुकुंद सीआर, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, अतुल लिमये, आलोक कुमार), पांच क्षेत्र प्रचारक, और अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत मथुरा में हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर एक घंटे में केशव कुंज पहुंच सकते हैं। यह असाधारण उपस्थिति दर्शाती है कि यह बैठक रूटीन नहीं, बल्कि रणनीतिक है।

सबसे चर्चित नाम है दीपक विस्पुते का, जिन्हें बीजेपी का अगला राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बनाए जाने की संभावना है। 44 वर्षीय विस्पुते, जो वर्तमान में आरएसएस के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख हैं, मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में पांच वर्षों तक क्षेत्र प्रचारक रह चुके हैं। 2014 से 2023 तक उन्होंने इन राज्यों में सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की निगरानी की, जिसके परिणामस्वरूप बीजेपी ने मध्य प्रदेश में 2023 में 163 सीटें और छत्तीसगढ़ में 54 सीटें जीतीं।

विस्पुते की ताकत उनकी सोशल इंजीनियरिंग और कार्यकर्ताओं से गहरा संवाद है। जबलपुर मूल के इस ओबीसी नेता को दलित, आदिवासी, और पिछड़े वर्गों के बीच काम करने का व्यापक अनुभव है। अक्टूबर 2023 में मथुरा में उनके सामाजिक सुधारों पर दिए गए बौद्धिक व्याख्यान ने उत्तर प्रदेश के मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने सामाजिक सुधार के लिए पांच तत्वों—शिक्षा, समानता, स्वावलंबन, संस्कृति, और संगठन—पर जोर दिया था। एक सूत्र ने बताया, “विस्पुते की नियुक्ति से बीजेपी का संगठन और मजबूत होगा। उनकी युवा ऊर्जा और RSS की वैचारिक गहराई का मिश्रण पार्टी को नई दिशा देगा।”

राष्ट्रीय संगठन महामंत्री का पद बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद सबसे प्रभावशाली माना जाता है। यह नियुक्ति हमेशा आरएसएस के सरकार्यवाह द्वारा की जाती है, जो संगठन की कार्यकारी शक्ति का केंद्र होते हैं। 1980 में बीजेपी की स्थापना के बाद से इस पद पर रहे नेताओं में शामिल हैं:

  • कुशाभाऊ ठाकरे (1980-1986): संगठन की नींव रखने वाले दिग्गज।
  • केएन गोविंदाचार्य (1986-2000): हिंदुत्व और सामाजिक विस्तार के रणनीतिकार।
  • संजय जोशी (2000-2005): संगठन को आधुनिक बनाने वाले।
  • रामलाल (2006-2014): ग्रामीण भारत में बीजेपी का आधार बढ़ाया।
  • राम माधव (2014-2015): पूर्वोत्तर में विस्तार।
  • बीएल संतोष (2015-वर्तमान): डिजिटल युग में संगठन का कायाकल्प।

विस्पुते की संभावित नियुक्ति से बीएल संतोष का कार्यकाल समाप्त होगा, और यह बदलाव 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद संगठनात्मक समीक्षा का परिणाम माना जा रहा है।

सबसे चौंकाने वाली खबर है 74 वर्षीय आरिफ मोहम्मद खान को बीजेपी का पहला मुस्लिम राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की संभावना। वर्तमान में बिहार के राज्यपाल, खान अपनी बेबाकी और वक्फ कानून जैसे मुद्दों पर स्पष्ट रुख के लिए जाने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ RSS पदाधिकारी उन्हें केंद्रीय शिक्षा मंत्री या राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। यदि यह निर्णय लिया गया, तो यह बीजेपी की समावेशी छवि को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। हालांकि, कुछ नेताओं का मानना है कि RSS की सहमति इस मामले में चुनौतीपूर्ण हो सकती है। खान ने 2019 में एक साक्षात्कार में कहा था, “भारत की संस्कृति समन्वय की है, और हमें इसे मजबूत करना होगा।”

बैठक में कई अन्य नेताओं की भूमिका पर भी चर्चा होगी:

  • अन्नामलाई (40): तमिलनाडु के युवा तुर्क, जिन्हें संगठन या केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
  • तेजस्वी सूर्या (34): बेंगलुरु के सांसद, जो युवा कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय हैं।
  • सुधांशु त्रिवेदी (54): प्रवक्ता और रणनीतिकार, जिन्हें केंद्रीय भूमिका मिल सकती है।
  • वनाथी श्रीनिवासन (54): तमिलनाडु की महिला नेता, संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी की दावेदार।
  • विष्णु दत्त शर्मा (53): मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष, जिनका संगठनात्मक कौशल सराहा जाता है।
  • अनुराग ठाकुर (51): पूर्व केंद्रीय मंत्री, जो दोबारा बड़ी भूमिका में आ सकते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, और मनोहर लाल खट्टर जैसे नेताओं पर भी फैसले हो सकते हैं। वर्तमान में मंत्रिमंडल में 10 रिक्तियां हैं, और इनमें दलित (10), ओबीसी (27), आदिवासी (5), और महिला (7) मंत्रियों की मौजूदा संख्या को ध्यान में रखकर सामाजिक संतुलन बनाया जाएगा।

केशव कुंज में होने वाली इस बैठक का एजेंडा व्यापक है:

  1. पिछले तीन वर्षों की समीक्षा: 2022-2024 के बीच मोदी सरकार और जेपी नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी के कामकाज की RSS की विस्तृत रिपोर्ट।
  2. आगामी तीन वर्षों का खाका: सरकार के लिए प्राथमिकताएं, जैसे यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन।
  3. संगठनात्मक फेरबदल: राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन। बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 50% राज्यों (19) में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने चाहिए। अभी तक 14 राज्यों में अध्यक्ष चुने गए हैं, और शेष में 22 अप्रैल के बाद तेजी आएगी।
  4. मंत्रिमंडल विस्तार: रिक्त 10 पदों पर नियुक्तियां और मौजूदा मंत्रियों का पुनर्गठन।

केशव कुंज की यह बैठक बीजेपी और RSS के बीच विचारों और रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण संगम है। दीपक विस्पुते जैसे युवा और अनुभवी नेताओं का उभरना, आरिफ मोहम्मद खान जैसे समावेशी चेहरों की चर्चा, और संगठनात्मक बदलावों की शुरुआत यह दर्शाती है कि बीजेपी 2029 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। जैसा कि कुशाभाऊ ठाकरे ने कहा था, “संगठन ही हमारी ताकत है।” यह ताकत अब नए नेतृत्व और नई सोच के साथ और मजबूत होने की राह पर है।

 

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