मध्य प्रदेश

विधायक अर्चना चिटनिस के बेटे की शादी का कार्ड चर्चा में, केले के रेशे, गोबर और पावरलूम कपड़े से तैयार किया आमंत्रण पत्र

बुरहानपुर
 आधुनिकता की दौड़ में जहां शादी-विवाह के आमंत्रण पत्रिकाएं महंगे कागज और प्लास्टिक से तैयार की जाती हैं, वहीं बुरहानपुर की एक अनोखी पहल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई मिसाल पेश की है. दरअसल बुरहानपुर की विधायक और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस ने अपने बेटे समर्थ चिटनिस के विवाह हेतु जो आमंत्रण पत्रिका तैयार करवाई है, वह न केवल आकर्षण का केंद्र बनी है बल्कि पर्यावरण प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गई है.

इको-फ्रेंडली शादी का कार्ड
यह विशेष वैवाहिक पत्रिका केले के रेशे और गोबर के मिश्रण से बनाए गए कागज पर मुद्रित की गई है. इसके साथ ही इस पत्रिका को पारंपरिक प्लास्टिक कवर की बजाय बुरहानपुर में पावरलूम से निर्मित सूती कपड़े की थैली में रखा गया है. जिससे यह पूरी तरह इको-फ्रेंडली बन गई है. हजारों की संख्या में यह आमंत्रण पत्र देश के विभिन्न राज्यों मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य हिस्सों में प्रेषित की गई है. जो हर स्थान पर सराहना का विषय बनी हुई है.

केले के रेशे और गोबर से तैयार कार्ड
बुरहानपुर जिले के प्रमुख कृषि उत्पादों केला, गन्ना और कपास को ध्यान में रखते हुए इस पत्रिका की संकल्पना की गई. खास बात यह है कि केले की फसल के बाद बचे तनों से निकाले गए रेशों से यह कागज तैयार किया गया, जिसमें गोबर और कपास का भी समावेश हुआ. इस अनूठे प्रयोग ने स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बनाया है.

कार्ड पर स्वस्तिक, पक्षियों की चहचहाहट
इस पत्रिका का डिजाइन भी अत्यंत विचारोत्तेजक है. मुख्य पृष्ठ पर सूर्य का खिलता प्रकाश, स्वस्तिक, पक्षियों की चहचहाहट, हरियाली और पशु-पक्षी जीवन और प्रकृति के सह-अस्तित्व का संदेश देते हैं. साथ ही एकात्म मानववाद के चक्र को विशेष रूप से उकेरा गया है, जो व्यक्ति से लेकर समाज और देश निर्माण तक की सतत प्रक्रिया को दर्शाता है.

अर्चना चिटनिस ने कार्ड के जरिए दिया खास संदेश
इस नवाचार के पीछे अर्चना चिटनिस का उद्देश्य केवल विवाह निमंत्रण देना नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से समाज को यह संदेश देना था कि हम प्रकृति के साथ समरसता में रहकर भी जीवन के मंगल कार्य कर सकते हैं. यह पहल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने, प्लास्टिक मुक्त आयोजनों को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाने का अनूठा उदाहरण है.

बुरहानपुर की इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि संकल्प हो, तो पारंपरिक आयोजनों को भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रसर किया जा सकता है. यह पत्रिका न केवल एक विवाह आमंत्रण है, बल्कि एक जागरूकता अभियान का स्वरूप भी है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा देता है.

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