राजनीतिक

नवजोत कौर के बयान ने कांग्रेस को संकट में डाला, सिद्धू की वापसी पर उठे सवाल

नई दिल्ली
पंजाब की सियासत में नवजोत सिंह सिद्धू बड़ा नाम हैं, लेकिन उनकी सियासी ख्वाहिश न बीजेपी में रहते हुए पूरी हो सकी और न ही कांग्रेस में. कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया, लेकिन सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठाया. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से सियासी सीन से गायब सिद्धू परिवार 2027 के लिए एक बार फिर से सक्रिय हो गया.

नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने पिछले महीने फिर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. अब नवजोत कौर ने कांग्रेस के सामने सिद्धू को 2027 के लिए मुख्यमंत्री चेहरा बनाने की शर्त रख दी है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस में 500 करोड़ रुपये की अटैची वाली बात कहकर नवजोत सिद्धू की सियासी राह को आसान बनाए जाने के बजाय कहीं मुश्किल तो नहीं कर दिया?

कांग्रेस के सामने सिद्धू की पत्नी ने रखी शर्त

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने शनिवार को राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि अगर कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो वे दोबारा सक्रिय राजनीति में लौट आएंगे.

साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस के कम से कम पांच नेता सीएम बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, जो नवजोत सिद्धू को आगे बढ़ने का मौका नहीं देंगे. इसके बावजूद कांग्रेस अगर सिद्धू को मौका देती है तो वो राजनीति में लौट आएंगे, वरना राजनीतिक से बाहर खुश हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस तरह से उन्होंने पार्टी में चल रही गुटबाजी को भी हवा दे दी है.

कौर का 500 करोड़ अटैची वाला बयान

नवजोत कौर ने सिद्धू को सीएम चेहरा बनाने के साथ-साथ गंभीर आरोप भी लगाए हैं. सिद्धू की पत्नी ने कहा कि उनके पास किसी पार्टी को देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन वे पंजाब को एक 'सुनहरा राज्य' बना सकते हैं. हमारे पास 500 करोड़ रुपए नहीं हैं, जो हम मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए दे सकें. जो 500 करोड़ रुपए की अटैची देता है, वही मुख्यमंत्री बनता है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पार्टी की आंतरिक खींचतान की वजह से मुख्यमंत्री बनने से चूके सुनील जाखड़ ने कहा कि उन्हें भी एक पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था, 'पुण्य नहीं कमाया, 350 करोड़ रुपये दिए हैं तब कुर्सी मिली है.' इस बीच, बीजेपी नेताओं ने नवजोत कौर सिद्धू के बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है.

कांग्रेस नेताओं ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा

नवजोत कौर के बयान को लेकर पंजाब कांग्रेस नेताओं ने पार्टी हाईकमान तक बात पहुंचा दी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का कहा कि हाईकमान को इस संबंध में जानकारी दे दी गई है. अब हाईकमान को फैसला करना है, यह उनका अधिकार क्षेत्र है. इसके साथ उन्होंने नवजोत कौर के आरोपों को भी सिरे से खारिज किया और कहा कि न किसी ने 500 करोड़ रुपये दिए और न ही ऐसी कोई बात है.

नवजोत कौर का बयान ऐसे समय आया है जब पंजाब चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. पिछले महीने ही सिद्धू ने प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके सियासी तौर पर सक्रिय होने की उम्मीद लगाई जाने लगी थी. सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने एक अक्टूबर को चंडीगढ़ में अमृतसर पूर्वी से दोबारा चुनाव लड़ने की बात कही थी.

माना जा रहा था कि सिद्धू परिवार फिर से एक्टिव होगा, लेकिन नवजोत कौर के बयान के बाद अब कांग्रेस नेता जिस तरह खुलकर उनके खिलाफ बोल रहे हैं, उससे उनकी आगे की सियासी राह काफी मुश्किल हो सकती है. नवजोत कौर के मौजूदा बयान से कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता नाराज माने जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि 2022 में सिद्धू और चन्नी की खींचतान की वजह से पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, अब नवजोत कौर के बयान ने पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

सिद्धू की राह में क्या-क्या मुश्किलें?

सिद्धू बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आने के साथ ही उनकी पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ सियासी अदावत चलती रही. इसके बाद 2021 में जब कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया था, उस समय नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. ऐसे में वो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गए थे, लेकिन बाजी चरणजीत सिंह चन्नी के हाथ लगी थी. वह 111 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे.

2022 के विधानसभा चुनाव में नवजोत सिद्धू और चन्नी के बीच मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने की खासी होड़ लगी थी. सिद्धू ने अपनी लोकप्रियता का हवाला देते हुए राहुल गांधी के समक्ष रैली के दौरान यह तक कह दिया था कि 'देखो कहीं मुझे दर्शनीय घोड़ा मत बना देना.' इसके बाद भी कांग्रेस ने चन्नी को ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन कांग्रेस 2022 के चुनाव में सिर्फ 18 सीट पर सिमट गई थी. सिद्धू अपनी सीट हार गए थे, जिसके बाद से राजनीति से दूरी बना ली. सिद्धू परिवार 2024 के लोकसभा और निकाय चुनाव में भी नजर नहीं आया.

कांग्रेस की वापसी पर ना लग जाए ग्रहण

पंजाब की सत्ता में कांग्रेस 2027 में वापसी की उम्मीद लगा रही है, लेकिन जिस तरह से पार्टी के अंदर गुटबाजी है, उसके चलते कहीं फिर पांच साल विपक्ष में बैठना न पड़ जाए. पंजाब की सत्ता में आम आदमी पार्टी ने 2022 में सरकार बनाई थी. हालांकि, 2024 में कांग्रेस ने 13 में से 7 सीटें जीतकर अपनी वापसी का मजबूत सियासी आधार रखा था.

पंजाब में अकाली दल का असर कम हुआ है और प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद सुखबीर बादल अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए. बीजेपी तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब में अपनी सियासी जड़ें नहीं जमा पा रही है. ऐसे में कांग्रेस के पास अपनी वापसी करने का पूरा मौका है, लेकिन पार्टी की गुटबाजी सारी उम्मीदों पर पानी फेर रही है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजा वडिंग, पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कांग्रेस तीन धड़ों में बंटी हुई है. सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत कई नेता हाईकमान समर्थक हैं और किसी भी गुट में शामिल नहीं हैं. 2017 से 2022 तक यहां पर अमरिंदर और नवजोत गुट था, लेकिन अब कांग्रेस में कई गुट बन गए हैं.

 

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