जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ की कमीशनखोरी: संपतिया उईके पर गंभीर आरोप, जांच में नया मोड़

भोपाल, 1 जुलाई 2025: मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर तूफान खड़ा हो गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) मंत्री और मंडला से बीजेपी विधायक संपतिया उईके पर जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी के सनसनीखेज आरोपों ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। इस मामले ने न केवल उईके की राजनीतिक छवि को दागदार किया है, बल्कि बीजेपी सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। केंद्र सरकार और पीएमओ की सख्ती के बाद शुरू हुई जांच में अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं, लेकिन PHE विभाग का ताजा बयान इस कहानी में एक नया ट्विस्ट लाया है। क्या यह मध्यप्रदेश का अगला बड़ा घोटाला है, या महज एक राजनीतिक साजिश? ‘द इनक्वेस्ट’ आपके लिए लाया है इस घोटाले की पूरी कहानी और ताजा अपडेट्स।
जल जीवन मिशन, केंद्र सरकार की वह महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका लक्ष्य 2024 तक हर ग्रामीण घर में साफ पानी की पाइपलाइन पहुंचाना था। मध्यप्रदेश को इस योजना के तहत 30,000 करोड़ रुपये मिले, लेकिन अब यह योजना भ्रष्टाचार के आरोपों की भेंट चढ़ती दिख रही है। पूर्व बीजेपी विधायक किशोर समरीते ने 12 अप्रैल 2025 को पीएमओ को एक शिकायत भेजी, जिसमें उन्होंने PHE मंत्री संपतिया उईके पर 1000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी का आरोप लगाया। समरीते का दावा है कि यह भ्रष्टाचार फर्जी प्रोजेक्ट्स, जाली कार्य पूर्णता प्रमाणपत्रों, और बिना काम के फंड निकासी के जरिए हुआ।
शिकायत में बैतूल, छिंदवाड़ा, और बालाघाट जैसे जिलों में अनियमितताओं का जिक्र है। बैतूल में एक कार्यपालन यंत्री पर बिना किसी वास्तविक काम के 150 करोड़ रुपये निकालने का आरोप है। छिंदवाड़ा और बालाघाट में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आईं, जहां कथित तौर पर 7000 फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र केंद्र सरकार को भेजे गए। तत्कालीन प्रमुख अभियंता बीके सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे पर भी करोड़ों रुपये की घूसखोरी का इल्जाम है। समरीते ने इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, PHE विभाग के प्रमुख अभियंता संजय अंधवान ने 29 जून 2025 को सभी मुख्य अभियंताओं और मध्यप्रदेश जल निगम के परियोजना निदेशकों को सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। इस जांच में जल जीवन मिशन के फंड्स के उपयोग, टेंडर प्रक्रिया, और कार्य पूर्णता प्रमाणपत्रों की पड़ताल होनी थी। साथ ही, संपतिया उईके और मंडला के कार्यपालन यंत्री की संपत्तियों की जांच का भी निर्देश था। केंद्र सरकार ने भी PMO के जरिए इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की, और 30,000 करोड़ रुपये के उपयोग की गहन जांच के आदेश दिए।
लेकिन 30 जून को कहानी में एक नाटकीय मोड़ आया। बालाघाट के कार्यपालन यंत्री की एक प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर, संजय अंधवान ने इन आरोपों को “तथ्यहीन, मनगढ़ंत, और दुर्भावनापूर्ण” करार दिया। उनका कहना था कि शिकायत में कोई ठोस सबूत नहीं हैं, और यह पहले से उपलब्ध RTI जवाबों पर आधारित है। इस बयान ने विपक्ष और जनता के बीच हलचल मचा दी। किशोर समरीते ने इसका जवाब देते हुए कहा, “विभाग का बयान सिर्फ बालाघाट तक सीमित है। मेरी शिकायत पूरे मध्यप्रदेश में 1000 करोड़ की लूट की है।” उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर करने और सीबीआई जांच की मांग को और तेज करने की घोषणा की।
1 जुलाई 2025 तक, जांच में कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, मंडला में कार्यपालन यंत्री के ठिकानों पर छापेमारी में कुछ संदिग्ध दस्तावेज और बैंक लेनदेन के रिकॉर्ड मिले हैं, जो 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनियमित निकासी की ओर इशारा करते हैं। बैतूल में पदस्थ एक यंत्री, जिसे समरीते ने उईके का “वसूली एजेंट” बताया, की संपत्तियों की जांच शुरू हो गई है। X पर @MPNewsUpdate ने दावा किया कि इस यंत्री के पास 20 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति और लग्जरी गाड़ियां मिली हैं, जो उनकी आय से मेल नहीं खातीं। हालांकि, यह दावा अभी सत्यापित नहीं हुआ है।
केंद्र सरकार ने भी मध्यप्रदेश जल निगम को 15 जुलाई तक एक व्यापक ऑडिट रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस बीच, समरीते ने एक नया खुलासा किया कि उईके ने राजगढ़ और मंडला में विशेष यंत्रियों को वसूली के लिए नियुक्त किया था, जिन्हें “कलेक्शन एजेंट्स” की तरह इस्तेमाल किया गया। एक यंत्री, जो पहले मंडला में था और अब बैतूल में है, पर आरोप है कि उसने उईके के लिए 200 करोड़ रुपये की घूस इकट्ठा की। समरीते ने यह भी दावा किया कि 2200 टेंडरों में बिना काम के फंड जारी किए गए, और इनमें से 80% टेंडर फर्जी कंपनियों को दिए गए।
संपतिया उईके मध्यप्रदेश की एक प्रमुख आदिवासी नेता हैं। मंडला (ST) सीट से बीजेपी विधायक, उईके ने गरीबी और मजदूरी से शुरूआत की। वे ग्राम पंचायत सरपंच, जिला पंचायत अध्यक्ष, और 2017 में राज्यसभा सांसद रहीं। 2023 में विधानसभा जीतने के बाद, उन्हें मोहन यादव सरकार में PHE और आदिवासी मामलों की मंत्री बनाया गया। उनकी मेहनत और सादगी की कहानियां चर्चित थीं, लेकिन आज वे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में हैं।
शिकायत में दावा किया गया कि उईके ने अपने करीबी अधिकारियों के जरिए जल जीवन मिशन के फंड्स का दुरुपयोग किया। मंडला में उनके प्रभाव क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट्स को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों को दिया गया। @PoliticalEyeMP ने X पर लिखा, “संपतिया उईके की छवि साफ थी, लेकिन अब यह घोटाला उनकी सियासी कब्र खोद सकता है।” विपक्षी नेता और कांग्रेस के दिग्गज इसे बीजेपी सरकार की नाकामी बता रहे हैं।
इस मामले ने मध्यप्रदेश की सियासत में आग लगा दी है। विपक्षी नेता इसे विधानसभा में उठाने की तैयारी कर रहे हैं। @HemantKatareMP ने X पर लिखा, “जांच उसी विभाग से, जिसकी मंत्री पर आरोप हैं? यह सर्कस है, न्याय नहीं!” वहीं, @pcsharmainc ने कहा, “मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है, और बीजेपी इसे साफ करने की बजाय छिपा रही है।” जनता में भी गुस्सा है। कई लोग इसे व्यापम घोटाले से जोड़ रहे हैं, जो मध्यप्रदेश की सियासत का काला अध्याय रहा। @KunalChoudhary_ ने लिखा, “दो इंजीनियर भी जांच के घेरे में हैं, लेकिन क्या असली मास्टरमाइंड तक पहुंच होगी?”
जल जीवन मिशन पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ चुकी है। 2023 में, राजस्थान में ED ने इस योजना से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 5.86 करोड़ रुपये की सोने-चांदी की संपत्ति जब्त की थी। 2024 में, झारखंड में ED ने रांची में 20 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें तत्कालीन मंत्री मिथिलेश ठाकुर और IAS अधिकारी मनीष रंजन शामिल थे। मध्यप्रदेश में भी जल जीवन मिशन में अनियमितताओं की शिकायतें नई नहीं हैं। 2022 में, सिवनी और डिंडोरी में फर्जी टेंडरों की खबरें सामने आई थीं, लेकिन तब जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
1 जुलाई 2025 को, मध्यप्रदेश जल निगम ने एक बयान जारी कर कहा कि वे केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं, और 15 जुलाई तक ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, मंडला और बैतूल में हुई छापेमारी में मिले दस्तावेजों की जांच में देरी हो रही है, क्योंकि कुछ फाइलें “गायब” बताई जा रही हैं। समरीते ने दावा किया कि यह घोटाला 2000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है, और इसमें कई बड़े अधिकारियों और नेताओं का नाम सामने आ सकता है।
केंद्र सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। जल शक्ति मंत्रालय ने मध्यप्रदेश के सभी जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट्स की तीसरे पक्ष से ऑडिट कराने की घोषणा की है। उईके ने अभी तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया, लेकिन बीजेपी के अंदरखाने चर्चा है कि अगर जांच में ठोस सबूत मिले, तो उईके का मंत्रिमंडल से हटना तय है।
सवाल जो बाकी हैं
- क्या उईके असली मास्टरमाइंड हैं? क्या यह घोटाला उनके इशारे पर हुआ, या वे किसी बड़े सियासी खेल का मोहरा हैं?
- विभाग की जांच कितनी निष्पक्ष? जब आरोप PHE विभाग की मंत्री पर हैं, तो क्या विभाग की जांच विश्वसनीय होगी?
- CBI जांच कब? समरीते की मांग और जनता का दबाव क्या इस मामले को CBI तक ले जाएगा?
- क्या होगा जल जीवन मिशन का? क्या यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी, या मध्यप्रदेश के गांवों तक साफ पानी पहुंचेगा?
जल जीवन मिशन, जो ग्रामीण भारत की प्यास बुझाने का सपना थी, अब मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस चुकी है। संपतिया उईके पर लगे 1000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी के आरोप न केवल उनकी सियासी करियर के लिए खतरा हैं, बल्कि बीजेपी सरकार और जल जीवन मिशन की साख पर भी सवाल उठा रहे हैं। ‘द इनक्वेस्ट’ इस मामले की हर अपडेट पर नजर रखेगा। क्या यह मध्यप्रदेश का अगला व्यापम घोटाला है, या एक सियासी ड्रामा? सच जानने के लिए हमारे साथ बने रहें।