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चीनी सौर इनवर्टरों में रॉग संचार उपकरण: वैश्विक सुरक्षा पर खतरा

द इनक्वेस्ट 
22 मई 2025

मई 2025 में, अमेरिकी ऊर्जा अधिकारियों ने चीनी निर्मित सौर इनवर्टरों और बैटरियों में अनधिकृत संचार उपकरणों की खोज की, जिसने वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। रॉयटर्स की 14 मई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, इन “रॉग” उपकरणों, जैसे सेलुलर रेडियो, को उत्पाद दस्तावेजों में उल्लेखित नहीं किया गया था। ये उपकरण बिजली ग्रिड को अस्थिर कर सकते हैं, बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट पैदा कर सकते हैं, और जासूसी का रास्ता खोल सकते हैं। G7, यूरोपीय संघ (EU), और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों, जहां सायबरसुरक्षा और डेटा गोपनीयता के सख्त कानून हैं, के लिए यह खोज विशेष रूप से चिंताजनक है। वैश्विक सौर इनवर्टर बाजार में चीन का 70% हिस्सा होने के कारण, इस खतरे के प्रभाव गंभीर हैं।

सौर इनवर्टर सौर पैनल, पवन टरबाइन, और बैटरियों को बिजली ग्रिड से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो डायरेक्ट करंट (DC) को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदलते हैं। हालांकि ये उपकरण सॉफ्टवेयर अपडेट और रखरखाव के लिए रिमोट एक्सेस की अनुमति देते हैं, उपयोगिता कंपनियां इन्हें फायरवॉल के पीछे संचालित करती हैं ताकि अनधिकृत पहुंच रोकी जा सके। लेकिन अमेरिकी विशेषज्ञों ने नियमित जांच में पाया कि हुवावे, सनग्रो, और जिनलॉन्ग सोलिस जैसे चीनी निर्माताओं के इनवर्टरों में गुप्त संचार मॉड्यूल मौजूद हैं। ये उपकरण रिमोटली फायरवॉल को बायपास कर सकते हैं, जिससे ग्रिड को नुकसान या ब्लैकआउट का खतरा है। एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी, “यह ग्रिड को भौतिक रूप से नष्ट करने का एक अंतर्निहित तरीका है।”

नवंबर 2024 में, सोल-आर्क और डेय जैसे आपूर्तिकर्ताओं के बीच व्यापारिक विवाद के दौरान अमेरिका और अन्य क्षेत्रों में इनवर्टर रिमोटली बंद कर दिए गए, जिसने विदेशी प्रभाव की संवेदनशीलता को उजागर किया। अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DOE) ने पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा, “हालांकि इस कार्यक्षमता का इरादा दुर्भावनापूर्ण नहीं हो सकता, लेकिन खरीददारों को उत्पादों की पूरी क्षमता जानना जरूरी है।” DOE अब “सॉफ्टवेयर बिल ऑफ मैटेरियल्स” (SBOMs) को अनिवार्य करने की दिशा में काम कर रहा है।

G7 और EU देशों के लिए यह खतरा गंभीर है। यूरोप की 200 गीगावाट सौर क्षमता—200 से अधिक परमाणु संयंत्रों के बराबर—चीनी इनवर्टरों पर निर्भर है। यूरोपियन सोलर मैन्युफैक्चरिंग काउंसिल (ESMC) ने इसे “बेहद चिंताजनक” बताया और यूरोपीय आयोग से इनवर्टरों के लिए सायबरसुरक्षा “टूलकिट” लागू करने की मांग की। लिथुआनिया ने 100 किलोवाट से अधिक की सौर, पवन, और बैटरी स्थापनाओं पर चीनी रिमोट एक्सेस पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि एस्टोनिया के खुफिया प्रमुख ने चीनी तकनीक पर निर्भरता को ब्लैकमेल का जोखिम बताया। यूके भी चीनी नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक की समीक्षा कर रहा है।

GCC देश, जो नवीकरणीय ऊर्जा में भारी निवेश कर रहे हैं, सायबरसुरक्षा कानूनों के कारण वितरकों पर भारी जुर्माना लगा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हुवावे जैसे निर्माता अपनी वैश्विक पहुंच के कारण जवाबदेही से बच सकते हैं, लेकिन थोक और खुदरा वितरकों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। यह आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खामी को उजागर करता है।

भारत के लिए यह खोज विशेष रूप से चिंताजनक है। नेशनल सोलर मिशन के तहत भारत ने सौर ऊर्जा में भारी निवेश किया है, और कई इनवर्टर चीन से आयात होते हैं। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद महाराष्ट्र सायबर पुलिस ने सायबर हमलों में वृद्धि की चेतावनी दी थी। ISRO के RISAT-2BR1 जैसे उपग्रह सायबर खतरों की निगरानी में मदद करते हैं, लेकिन “आत्मनिर्भर भारत” के तहत स्वदेशी सौर तकनीक को बढ़ावा देना अब जरूरी है।

वैश्विक स्तर पर, यह मुद्दा अमेरिका-चीन तनाव को दर्शाता है। चीनी कंपनियां कानूनी रूप से बीजिंग की खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए बाध्य हैं, जिससे जासूसी या तोड़फोड़ की आशंका बढ़ती है। NATO ने चेतावनी दी है कि चीन का महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर नियंत्रण बढ़ रहा है। अमेरिका ने 2019 से हुवावे पर प्रतिबंध लगाया है, और नया विधेयक छह चीनी बैटरी कंपनियों पर खरीद प्रतिबंध लगाएगा। हालांकि, इनवर्टरों पर कोई समान कानून नहीं है।

वाशिंगटन में चीनी दूतावास ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से इनकार किया, लेकिन सॉल्ट टाइफून जैसे सायबर हमलों ने संदेह को बढ़ाया है। जैसे-जैसे देश चीनी नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक पर अपनी निर्भरता की समीक्षा कर रहे हैं, स्वदेशी विनिर्माण और मजबूत सायबरसुरक्षा ढांचे की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। यह खोज एक चेतावनी है: स्वच्छ ऊर्जा की दौड़ में राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

 

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